भारतीय नौसेना की ताकत में जल्द ही इजाफा होने जा रहा है। भारत 26 राफेल-एम लड़ाकू जेट्स और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बी की खरीद पर अगले कुछ हफ्तों में फैसला कर सकता है। ये निर्णय भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत को और बढ़ाएंगे, खासकर समुद्री युद्धक्षेत्र में। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी पेरिस यात्रा के दौरान की जाएगी या नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी की पेरिस यात्रा:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10-11 फरवरी को पेरिस की यात्रा करेंगे, जहां वह एक महत्वपूर्ण AI समिट में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। यह समिट और बैठकें भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूती देने का एक बड़ा अवसर हो सकती हैं।
राफेल-एम और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद:
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से 22 राफेल-एम लड़ाकू जेट्स की खरीद को मंजूरी दे दी थी। ये जेट्स भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमान वाहक INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे। इसके साथ ही, भारत ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की भी खरीद को मंजूरी दी है। भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत पहले ही मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) द्वारा छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण किया जा चुका है।
क्या खास है राफेल-एम?
राफेल-एम, राफेल विमान का नेवल वेरिएंट है, जिसे विशेष रूप से एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेशन्स के लिए डिजाइन किया गया है। इसे भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने से उसकी सामरिक ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
- सुपरफास्ट और ताकतवर: राफेल-एम एक ड्यूल-इंजन और सिंगल सीट वाला विमान है, जो दुश्मन के अंदरूनी इलाकों में जाकर हमला करने में सक्षम है।
- आधुनिक हथियार प्रणाली: इसमें अत्याधुनिक एवियोनिक्स, थेल्स रडार, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, SCALP और EXOCET जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें, और HAMMER म्यूनिशन जैसी ताकतवर प्रणाली होगी।
- हवा से जमीन और हवा से हवा में हमला: राफेल-एम एक ही उड़ान में हवा से जमीन और हवा से हवा दोनों प्रकार के हमले करने में सक्षम है, जिससे यह दुश्मन के खिलाफ एक बहुआयामी और प्रभावी हथियार बन जाता है।
- लंबी दूरी की हमलावर क्षमता: राफेल-एम 13 एक्सटर्नल हार्डपॉइंट्स पर 9.5 टन तक हथियार, ईंधन टैंक और अन्य उपकरण ले जाने की क्षमता रखता है, और इसकी डिज़ाइन इसे दुश्मन के रडार से बचते हुए तेज गति से उड़ान भरने में सक्षम बनाती है।
स्कॉर्पीन पनडुब्बी का महत्व:
भारत पहले ही फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) द्वारा स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम उठा चुका है। इन पनडुब्बियों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की समुद्री युद्ध क्षमता में सुधार होगा और यह किसी भी प्रकार के समुद्री खतरे से निपटने के लिए और अधिक सक्षम बनेगी।
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राफेल-एम लड़ाकू जेट्स और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम साबित हो सकती है। इससे न केवल भारत की समुद्री शक्ति में इजाफा होगा, बल्कि यह देश की रक्षा तैयारियों को भी और मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी पेरिस यात्रा और फ्रांस के साथ जारी रक्षा वार्ता पर देशवासियों की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को एक नई दिशा मिल सकती है।