इंटरैक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनॉमी (IFIE) द्वारा मुंबई में “मोदी का दृष्टिकोण: भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर” विषय पर एक कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। जिसमें “ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री” किस तरह इसमें योगदान दे सकती है, इस पर विस्तृत चर्चा की गई। इसके साथ ही ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए स्व-नियामक निकाय (Self Regulatory Body) का निर्माण एवं उसकी रूपरेखा क्या हो, इस पर सभी वक्ताओं ने अपने सुझाव दिए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने आयोजक इंटरएक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनामी के अध्यक्ष नंदन झा को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे विषय का चयन किया है जिसके बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इंडियन इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्रीज समेत हर क्षेत्र के लोगों को इसमें शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगे की जनरेशन को गैंबलिंग की आदत ना लगे और उस जनरेशन को बचाते हुए स्किल पर ध्यान देना होगा और इस संस्था को बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी।
न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए जो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बनेगी उसमें आईटी, लीगल एक्सपर्ट और लॉ फॉर्म हो जिससे कि रेगुलेट करने में आसानी होगी। इसके साथ ही उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि इस इंडस्ट्री से रेवेन्यू तो मिले लेकिन दिमाग की दुर्गति ना हो। इसमें युवा शामिल होते हैं तो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी की जिम्मेदारी बनती है कि उसका सही से कंडक्ट हो।
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा की शुरुआत में जो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बने उसमें गवर्नमेंट बॉडी और एनजीओ साथ में मिलकर काम करें तो उसे अच्छे से कंडक्ट कर पाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एथिकल कमेटी में कुछ ऐसी कंडीशन रखे जाएं जिसे कंपनियों और उसके मालिकों द्वारा फुलफिल किया जाए। उसके बाद ही उसे और उस संस्था को मान्यता मिले। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गेम ऑफ स्किल में गैंबलिंग ना आ जाए और स्किल पर फोकस रहे यह हमें सुनिश्चित करना होगा।