भारत में ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) वायरस की एंट्री ने तहलका मचा दिया है। 6 जनवरी की सुबह वायरस से दो मामले सामने आए थे जो दोपहर तक बढ़कर तीन हो गए। बता दें कि ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस वायरस ने चीन में हाहाकार मचा रखा है जिसके बाद से भारत में दस्तक के बाद ये चिंता का विषय हो गया है।
कर्नाटक में मिले दोनों मामलों में नवजात बच्चों में संक्रमण पाया गया है, तीसरा केस गुजरात से आया यहां भी 2 महीने के बच्चे में संक्रमण पाया गया। सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये थी कि सभी मामलों में कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं पाई गई है।
अब लोगों के मन में कई सवाल कौंध रहे हैं। कोई वर्क फ्रॉम होम की डिमांड कर रहा है तो कोई पूछ रहा है कि क्या फिर से लॉकडाउन लग जाएगा। लेकिन सबसे ज्यादा लोगों के मन में ये सवाल है कि इस वायरस से सबसे ज्यादा किसे खतरा है?
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ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस (Human Metapneumovirus – hMPV) से सबसे अधिक खतरा उन लोगों को होता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। इसके तहत निम्नलिखित शामिल हैं..
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बच्चे और शिशु:
- खासतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चे।
- शिशुओं में फेफड़ों और श्वसन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होते, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
- बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
बुजुर्ग व्यक्ति:
- 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोग।
- उम्र बढ़ने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति:
- ऐसे लोग जो कैंसर, एचआईवी/एड्स, या ऑर्गन ट्रांसप्लांट से गुजर रहे हैं।
- इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का सेवन करने वाले मरीज।
- इन लोगों में संक्रमण तेज़ी से फैलता है और गंभीर रूप ले सकता है।
पहले से श्वसन रोग से पीड़ित लोग:
अस्थमा (Asthma): वायरस अस्थमा के लक्षणों को और गंभीर कर सकता है।
क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD): वायरस सांस लेने में पहले से मौजूद समस्याओं को बढ़ा सकता है।
ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की अन्य बीमारियां।
भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग:
- स्कूल, डे-केयर, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर रहने वाले लोग।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों में वायरस का प्रसार तेज़ी से होता है।
कमजोर पोषण वाले व्यक्ति:
- कुपोषण से पीड़ित लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
- बच्चों और गरीब समुदायों में यह खतरा अधिक होता है।
जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है या जिन्हें पहले से फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हैं, उनमें निमोनिया, सांस की नली का संक्रमण, और ऑक्सीजन की कमी जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।