सबसे पहली आवश्यकता है चाहत की. अगर आप वास्तव में चाहते हैं खेती (Farming) करना तो कोई समस्या आपके सामने नहीं आएगी. बस आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा.
चाहे आप गाँव में हों या शहर में रहते हों, अगर आप चाहते हैं तो आप कर सकते हैं खेती. बिलकुल भी मुश्किल नहीं है पोषण वाटिका यानि किचन गार्डन (Kitchen Garden). जब चाहें जहां चाहें आप किचन गार्डन शुरू करके अपनी खेती का श्री गणेश कर सकते हैं.
किचन गार्डन की खेती एक तरफ तो कुपोषण से बचाव करेगी साथ ही साथ आपको देगी ताजा और पौष्टिक सब्जियां (Vegetables) भी. किचन गार्डन की खेती खास तौर पर उन लोगों के लिए बड़े काम की है जो शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और अपनी बालकनी या छत पर सब्जियाँ उगाना चाहते हैं. शहर ही नहीं गाँव में भी ग्रामीण लोग अपनी आय को बढ़ाने के लिए किचन गार्डन को अपना सकते हैं.
पेस्टीसाइड का समाधान है किचेन गार्डन
आज ज्यादातर ऑर्गेनिक खाद की बजाये पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल हो रहा है. फलों और सब्जियों के उत्पादन में अत्यधिक पेस्टिसाइड्स का उपयोग एक बड़ी समस्या बन कर सामने आया है. ये समस्या न केवल शहरी इलाकों में खेती की पहचान बन गई है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों की वजह बनती जा रही है.
कुपोषण से बचाव भी कमाई का साधन भी
दुर्भाग्यपूर्ण ये भी है कि ग्रामीण इलाकों में ही लोगों सब्जियाँ उगाना कम कर दिया है. इस कारण शहरों में उपभोक्ता बाजार में बिक रही पेस्टिसाइडयुक्त सब्जियों पर निर्भर हो गए हैं. इस दुखद स्थिति को ठीक करने के लिए पोषण वाटिका एक प्रभावशाली समाधान है. यह पेस्टीसाइड से पैदा होने वाले कुपोषण से बचाव भी करता है साथ ही कमाई का भी साधन बन सकती है.
पोषण वाटिका हेतु स्थान का चयन सही हो
ऐसे स्थान पर पोषण वाटिका बनायें जहां पर्याप्त धूप हो और पानी का जमाव न हो. आपको ये भी सुनिश्चित करना होगा कि बारिश के मौसम में पानी की निकासी सही हो.
पोषण वाटिका हेतु क्यारियाँ तैयार करें
क्यारियाँ बनाते समय हमें इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि उन्हें इस तरह से बनाया जाए कि पानी अच्छी तरह से निकले और पौधों को पर्याप्त स्थान भी मिल सके.
पोषण वाटिका हेतु फसल का चुनाव
हम पोषण वाटिका में खरीफ और रबी दोनों मौसमों की सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं. मिसाल के लिए, हम गर्मियों के मौसम में लौकी, भिंडी, टमाटर, और हरी मिर्च वगैरह उगा सकते हैं तो वहीं सर्दियों के मौसम में मेथी, पालक, गाजर जैसी सब्जियाँ उगा सकते हैं.
सही ढंग से पौधों का रोपण
हमें पौधों को सही ढंग से लगाने पर ध्यान देना होगा. इसके लिए बड़े पौधों को किनारे पर लगान होगा और छोटे पौधों को बीच में. पपीते, केले,वगैरह बड़े पौधों को हमें किनारे पर लगाना होगा जिससे उनकी जड़ों के कारण पोषण वाटिका का अंदरूनी भाग प्रभावित न हो.
इसी तरह हमको पत्तेदार सब्जियों को बीच में लगान होगा. मेथी, पालक, चौलाई जैसी पत्तेदार सब्जियों को हम क्यारियों के बीच में लगाएंगे जिससे उनका विकास सही ढंग से हो सके.
कई पौधों को सहारे की जरूरत होती है. इस तरह के पौधों में तोरई, लौकी, खीरा जैसे बेल वाले पौधे शामिल हैं जिनको बढ़ने के लिए कोई सहारा चाहिए होता है. सहारे की दृष्टि से इस तरह के पौधों को किनारों पर लगाकर हम ऊपर की तरफ सहारा दे सकते हैं.