पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ढांचों को नेस्तनाबूद करने के लिए भारतीय सेना ने 6-7 मई की रात एक गुप्त और सटीक सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया। इस जबरदस्त कार्रवाई में 9 आतंकी लॉन्च पैड को निशाना बनाया गया, जिनमें मौजूद करीब 100 आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि भारत सरकार द्वारा की गई है।
इस सैन्य ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के कई शीर्ष कमांडर मारे गए, जो भारत में हुए अनेक आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड रहे हैं।
मारे गए प्रमुख आतंकियों की पहचान
1. मुदस्सर खडियान खास उर्फ अबू जुंदाल (LeT):
मरकज़ तैयबा का प्रमुख और लश्कर का टॉप कमांडर। उसका अंतिम संस्कार पाकिस्तानी सेना और सरकार की मौजूदगी में हुआ, जिसमें सेना प्रमुख और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने भाग लिया। इससे पाकिस्तान और आतंकवाद के बीच गहरे रिश्तों की पुष्टि होती है।
2. हाफिज़ मोहम्मद जमील (JeM):
मसूद अजहर का साला और बहावलपुर के मदरसे ‘सुब्हान अल्लाह’ का प्रमुख। जैश के लिए धन-संग्रह और कट्टरपंथी युवाओं की भर्ती में प्रमुख भूमिका निभाता था।
3. मोहम्मद यूसुफ अज़हर उर्फ उस्ताद जी (JeM):
मसूद अजहर का एक और साला और हथियार प्रशिक्षण शिविरों का प्रभारी। IC-814 अपहरण कांड में वांछित और जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में संलिप्त रहा।
4. खालिद उर्फ अबू आक़ाशा (LeT):
एक बड़ा हथियार तस्कर और जम्मू-कश्मीर में कई हमलों में सक्रिय। उसका अंतिम संस्कार फैसलाबाद में सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ।
5. मोहम्मद हसन खान (JeM):
पीओके में जैश का ऑपरेशनल कमांडर और मुफ़्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा। आतंकियों की रणनीति और हमलों में अग्रणी भूमिका निभाता था।
पाकिस्तान की भूमिका पर गहरे सवाल
इन आतंकियों को जिस प्रकार से राजकीय सम्मान, पुष्पांजलि और सैन्य उपस्थिति के साथ अंतिम विदाई दी गई, उससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान की सेना और सरकार न सिर्फ इन आतंकी संगठनों को संरक्षण देती है, बल्कि उन्हें सक्रिय समर्थन भी प्राप्त है। यह न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है।
भारत का स्पष्ट संदेश: आतंक को बर्दाश्त नहीं
“ऑपरेशन सिंदूर” भारतीय सेना की सटीक योजना, मजबूत खुफिया तंत्र और निर्णायक सैन्य शक्ति का प्रतीक है। यह ऑपरेशन भारत की नीति को स्पष्ट करता है — आतंकवाद और उसे समर्थन देने वाले किसी भी तत्व को बख्शा नहीं जाएगा।
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भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने आतंक के ढांचों को गहरा झटका दिया है। अब यह साफ हो गया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई में विश्वास रखता है।