मुंबई के मालाबार हिल क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक ‘जिन्ना हाउस’ एक बार फिर सुर्खियों में है। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा 1936 में बनवाया गया यह शानदार बंगला अब एक डिप्लोमैटिक एन्क्लेव (राजनयिक परिसर) में तब्दील होने की राह पर है। लगभग 39,000 वर्ग फीट में फैला यह एक मंजिला आर्ट डेको शैली का बंगला वर्तमान में जीर्णोद्धार की प्रक्रिया से गुजर रहा है, लेकिन इसके लिए विदेश मंत्रालय (MEA) की अंतिम मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
MHCC ने दी मरम्मत को मंजूरी
मुंबई हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी (MHCC) ने अगस्त 2023 में जिन्ना हाउस की मरम्मत और बदलाव की योजना को हरी झंडी दी थी। यह इमारत ग्रेड II A हेरिटेज साइट के अंतर्गत आती है, यानी इसका ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व काफी अधिक है। विदेश मंत्रालय ने इस कार्य को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) को सौंपा है, जिसने इस परियोजना के वास्तु सलाहकार के रूप में सर जेजे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर को जोड़ा है।
आर्ट डेको का अद्वितीय नमूना
जिन्ना हाउस को प्रसिद्ध वास्तुकार क्लाउड बैटली ने डिज़ाइन किया था, जो उस समय जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स के आर्किटेक्चर विभाग के प्रमुख थे। बंगले की बनावट, आर्ट डेको शैली की विशिष्ट झलक देती है, जो इसे मुंबई की विरासत इमारतों में एक खास स्थान दिलाती है।
क्या होंगे बदलाव?
प्रस्तावित बदलावों में बंगले को आवासीय परिसर से दफ्तर में परिवर्तित करना शामिल है। इसके तहत अंदर की दीवारों को हटाकर खुली जगह बनाई जाएगी, फर्श और छत की मरम्मत, दरवाजों और खिड़कियों की मरम्मत और पेंटिंग जैसे काम होंगे। इसके साथ ही गार्डनिंग, सीढ़ियों का पुनर्निर्माण, और अंदरूनी सौंदर्यकरण जैसे बदलाव भी किए जाएंगे, जो हेरिटेज की मूल संरचना को नुकसान पहुंचाए बिना किए जाएंगे।
पुराने फर्नीचर और झूमर रहेंगे बरकरार
MHCC की सलाह पर पुराने फर्नीचर, झूमर और अन्य आंतरिक सज्जा को यथासंभव संरक्षित रखा जाएगा। बंगले की चारदीवारी को भी पुराने पत्थर की बनावट में दोबारा तैयार करने की योजना है, ताकि इसकी ऐतिहासिक पहचान बनी रहे।
ऐतिहासिक और कानूनी पृष्ठभूमि
जिन्ना हाउस को स्वतंत्रता के बाद “निष्कासित संपत्ति” घोषित कर दिया गया था, क्योंकि मोहम्मद अली जिन्ना विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। 2007 में उनकी इकलौती बेटी दीना वाडिया ने इस संपत्ति पर अधिकार की याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर की थी। उनके निधन के बाद उनके बेटे नुस्ली वाडिया इस कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं।
2018 में हुआ था MEA को सौंपने का फैसला
प्रधानमंत्री कार्यालय ने 2018 में यह फैसला लिया था कि इस बंगले को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) से लेकर विदेश मंत्रालय को सौंपा जाए। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इसे दिल्ली के हैदराबाद हाउस की तर्ज पर सजाने और उपयोग में लाने की बात कही थी।
अंतिम हरी झंडी का इंतजार
परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मरम्मत और बदलाव से जुड़ी सभी आवश्यक योजनाएं और मंजूरियां तैयार हैं, लेकिन अभी केंद्र सरकार की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है। MEA ने अब तक किसी भी बड़े ढांचागत परिवर्तन की मांग नहीं की है, परंतु भारत की संस्कृति और विरासत को दर्शाने के लिए सौंदर्यपरक बदलाव प्रस्तावित हैं।
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जिन्ना हाउस न केवल एक ऐतिहासिक इमारत है, बल्कि यह भारत की विरासत और विभाजन से जुड़ी एक अहम यादगार भी है। अब जब यह बंगला एक डिप्लोमैटिक एन्क्लेव के रूप में नया जीवन पाने जा रहा है, तब इसकी मरम्मत और सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया इतिहास को संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।