मध्य प्रदेश के गुना जिले में लोकतंत्र की जड़ों को हिला देने वाला मामला सामने आया है, जहां करोद ग्राम पंचायत को बाकायदा 20 लाख रुपये के कर्ज के बदले गिरवी रख दिया गया। यह सौदा कोई रहस्यमय समझौता नहीं, बल्कि बाकायदा 100 रुपये के स्टांप पेपर पर किया गया लिखित एग्रीमेंट है, जिस पर ग्राम पंचायत की महिला सरपंच, उनके पति, एक पंच और कर्जदाता के हस्ताक्षर भी हैं। मामला उजागर होने पर जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सरपंच और पंच को पद से बर्खास्त कर दिया है।
सरपंच ने चुनाव लड़ने के लिए लिया था कर्ज
यह पूरा मामला करोद पंचायत से जुड़ा है, जो महिला आरक्षित सीट है। जानकारी के अनुसार, सरपंच लक्ष्मीबाई, जिनके पति शंकर सिंह गौड़ हैं, ने चुनाव लड़ने के लिए गांव के ही दबंग हेमराज सिंह धाकड़ से 20 लाख रुपये कर्ज लिया था। इस ऋण की गारंटी पंच रणवीर सिंह कुशवाह ने दी थी। एग्रीमेंट में यह स्पष्ट किया गया कि चुनाव जीतने के बाद पंचायत में होने वाले विकास कार्यों से हेमराज सिंह को पैसा लौटाया जाएगा। साथ ही, पंच रणवीर सिंह को सरपंच प्रतिनिधि नियुक्त किया गया और विकास कार्यों से मिलने वाले 5% कमीशन का प्रावधान भी रखा गया।
पंचायत की सील और दस्तावेज भी गिरवी
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सिर्फ मौखिक समझौता नहीं, बल्कि सरपंच की चेकबुक, पंचायत की सील और सरकारी दस्तावेज तक कर्जदाता हेमराज सिंह के पास गिरवी रखे गए। इससे पंचायत के निर्णयों पर तीसरे व्यक्ति का सीधा नियंत्रण स्थापित हो गया था। एग्रीमेंट 28 नवंबर 2022 को किया गया था।

पंचायत पर “दबंगों” का कब्जा
स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद से ही गांव के प्रभावशाली लोगों ने पंचायत पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था। यह मामला केवल आर्थिक अनियमितता का नहीं, बल्कि लोकतंत्र और महिला सशक्तिकरण के दावे की भी पोल खोलता है। आदिवासी और महिला आरक्षित सीटों पर बाहरी लोगों का कब्जा अब एक सामान्य बात बनती जा रही है।
एक और मामला चाचौड़ा से
इसी तरह का मामला चाचौड़ा की रामनगर पंचायत में सामने आया है, जहां आदिवासी महिला सरपंच मुन्नीबाई सहरिया ने गांव के दबंग रामसेवक मीना से कर्ज लेकर चुनाव लड़ा था। जीत के बाद, पंचायत के संचालन का अधिकार रामसेवक के हाथों में चला गया और बदले में सरपंच को सालाना 1 लाख रुपये देने का सौदा तय हुआ।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
गुना के कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा, “ये दोनों प्रकरण अत्यंत चिंताजनक हैं। प्राथमिक जांच में आरोप सिद्ध होने पर दोनों महिला सरपंचों को मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत पद से हटाया गया है। ऋण देकर पंचायत पर नियंत्रण पाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अन्य मामलों की भी जांच की जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
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राजनीतिक सवाल भी उठे
गौरतलब है कि यह पूरा मामला गुना विधानसभा क्षेत्र का है, जहां से बीजेपी के पन्नालाल शाक्य विधायक हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं। ऐसे में शासन-प्रशासन की निगरानी में इस प्रकार की घटनाओं के सामने आना राजनीतिक सवाल भी खड़े कर रहा है।