New Variety of Paddy: धान की खेती देश के किसानों और भारतीय कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण और खास होती है। धान की उन्नत किस्म के लिए समय-समय पर देश के विद्धान और वैज्ञानिक शोध करते आए हैं। इसी क्रम में पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना ने धान की एक उन्नत और नई किस्म की खोज की है। जिसका नाम है पीआर 132 (PR 132)।
पीआर 132 (PR 132) धान की किस्म पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना द्वारा विकसित एक लोकप्रिय धान की किस्म है। इसे विशेष रूप से उत्तर भारत में खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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इसका फायदा किसानों को हो सकता है क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी उर्वरता तो ज्यादा है ही साथ ही इसकी उर्वरक क्षमता भी कम है। यानी कम उर्वरक में ये किस्म ज्यादा उत्पादकता देती है।
पीआर 132 धान की विशेषताएं:
- यह किस्म 125-130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- इसे मध्यम अवधि की किस्म (Medium Duration Variety) माना जाता है।
- औसत पैदावार 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
- उचित देखभाल और उर्वरकों के संतुलित प्रयोग से उत्पादन बढ़ सकता है।
- पीआर 132 के दाने मध्यम लंबाई और पतले आकार के होते हैं।
- इसमें उच्च प्रतिशत सफेद चावल (High Head Rice Recovery) प्राप्त होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता
- यह किस्म बैंगनी धब्बा रोग (Brown Spot) और झुलसा रोग (Blast) के प्रति सहनशील है।
- कीटों के प्रति भी मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
खेती की विधि:
- इसकी बुआई का समय: जून के मध्य से जुलाई के अंत तक।
- प्रारंभिक वृद्धि के लिए नियमित सिंचाई आवश्यक।
- संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग करें।
- मानसूनी और सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।
पीआर 132 धान की किस्म किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, जिससे अच्छी पैदावार और बेहतर दाने की गुणवत्ता मिलती है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार के जलवायु में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है।