राइड-हेलिंग ऐप रैपिडो (Rapido) ने हाल ही में एक नया ट्रैफिक चार्ज सिस्टम लागू किया है, जिसे लेकर देशभर के यूजर्स, खासकर महानगरों में, नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। इस नई नीति के तहत, अगर किसी यात्रा के दौरान ट्रैफिक की वजह से 10 मिनट से ज्यादा की देरी होती है, तो हर अतिरिक्त मिनट के लिए ग्राहक से 0.50 रुपये वसूले जाएंगे। हालांकि, इस अतिरिक्त शुल्क की अधिकतम सीमा 30 रुपये तय की गई है।
ग्राहकों का फूटा गुस्सा
यह फैसला सामने आते ही सोशल मीडिया और ग्राहक मंचों पर रैपिडो के खिलाफ आलोचनाओं की बाढ़ आ गई। यात्रियों का कहना है कि ट्रैफिक एक ऐसी परिस्थिति है, जो किसी भी यात्री के नियंत्रण में नहीं होती। फिर भी, उस पर अतिरिक्त शुल्क थोपना अन्यायपूर्ण है।
हेब्बल (बेंगलुरु) की एक यात्री, पवित्रा राव, ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने पहले से ही ड्राइवर को 40 रुपये टिप दी थी, लेकिन उसके बावजूद उन्हें ट्रैफिक डिले चार्ज देना पड़ा। उन्होंने इस नीति को “जबरन वसूली” करार देते हुए कहा, “अगर मेरी वजह से देरी नहीं हो रही, तो मुझे क्यों भुगतना पड़े?”
पहले टिपिंग विवाद, अब ट्रैफिक चार्ज
यह पहला मौका नहीं है जब रैपिडो उपभोक्ता नाराजगी का केंद्र बनी हो। इससे पहले ‘टिप जोड़ें’ विकल्प को लेकर भी कंपनी पर सवाल उठे थे। उस समय राइड बुक करते वक्त ही ऐप पर टिप जोड़ने का सुझाव दिया जा रहा था, जिससे यूजर्स ने दबाव महसूस किया। इसके बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने CCPA (केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण) को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।
भरोसे पर सवाल
नए ट्रैफिक चार्ज के चलते यूजर्स का भरोसा इन ऐप्स से उठता जा रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि कंपनियां अब उन स्थितियों से कमाई कर रही हैं जिन पर ग्राहक का कोई नियंत्रण नहीं है। एक यूज़र ने कटाक्ष करते हुए लिखा, “अगर ये चलन शुरू हुआ तो हर ट्रैफिक सिग्नल पर बिल की एक नई लाइन जुड़ जाएगी।”
CCPA की कार्रवाई की उम्मीद
CCPA ने अब तक इस मामले में कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, रैपिडो, ओला और उबर जैसे प्लेटफॉर्म्स की सेवाओं में उपभोक्ता अधिकारों की अनदेखी को लेकर कड़ी नजर रखी जा रही है। फिलहाल, रैपिडो की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्या कहता है विशेषज्ञ वर्ग?
उपभोक्ता कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के चार्ज से पारदर्शिता की भावना को ठेस पहुंचती है। ट्रैफिक जैसी अनियंत्रित स्थिति पर ग्राहक से पैसा वसूलना उपभोक्ता संरक्षण कानूनों की भावना के विपरीत है।
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रैपिडो का ट्रैफिक चार्ज सिस्टम फिलहाल लोगों की नाराजगी का कारण बना हुआ है। जहां एक ओर कंपनी इसे ड्राइवर सपोर्ट का हिस्सा बता सकती है, वहीं दूसरी ओर ग्राहक इसे जबरदस्ती के रूप में देख रहे हैं। अब देखना होगा कि उपभोक्ताओं की आवाज़ पर सरकार और नियामक संस्थाएं क्या रुख अपनाती हैं।