देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट 2025 पेश किया। जिसमें टैक्स से लेकर कैंसर की दवा की कीमतों में कमी और किसान क्रेडिट कार्ड पर भी कई अहम फैसले लिए गए। बजट के बाद से अब प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “हमारे लिए आज बजट के आंकड़ों से ज्यादा जान गंवाने (महाकुंभ भगदड़ में) वालों के आंकड़े महत्वपूर्ण हैं। जो सरकार जान गंवाने वालों, लापता लोगों के आंकड़े नहीं दे सकी… जिस सरकार को ये बताने में 17 घंटे से ज्यादा लग गए कि भगदड़ मची, लोगों की जान चली गई… जिनके पास ये सपना नहीं है, विजन नहीं है कि महाकुंभ के लिए कितना इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए, जब 40 करोड़ लोगों के लिए व्यवस्था करनी थी, तो आपने क्या व्यवस्था की?… ये सरकार झूठी है, जो सरकार महाकुंभ का आयोजन नहीं कर सकती, आज के बजट में उसका हर आंकड़ा झूठा है।’
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वहीं, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “आज हम चाहते थे कि सरकार कुंभ में हुई मौतों पर चर्चा के लिए कोई फैसला ले। विपक्ष, कांग्रेस चाहती है कि महाकुंभ में जो इतने लोगों की मृत्यु हुई, घायल हुए, उस पर सदन में चर्चा के लिए कोई तारीख तय की जाए। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, INDIA गठबंधन दलों ने इस मुद्दे पर सदन से वॉकआउट किया…” केंद्रीय बजट पर उन्होंने कहा, “जहां तक बजट की बात है, यह वही पुराना बजट है जो हम पिछले 10 सालों से सुनते आ रहे हैं। इसमें न तो गरीब, न किसान और न ही मध्यम वर्ग को कुछ मिलता है… आज का बजट पिछले 10 सालों का सबसे कमजोर बजट रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से इस बारे में (12 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट) कोई जानकारी नहीं दी, यह सरकार का पुराना तरीका है कि वे कुछ दिखाते हैं और जब हम विस्तार से देखते हैं, तो हमें पता चलता है कि कुछ नहीं मिला।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “ये बजट एक विकसित भारत का, ये बजट है प्रधानमंत्री के संकल्प का और एक नया ऊर्जावान युवा भारत के सपनों को साकार करने का बजट है। हर क्षेत्र को और हर विषय को पूर्ण रूप से अध्ययन करके एक मानचित्र तय किया गया है..12 लाख तक कोई टैक्स नहीं…तो ये कम्पोजिट बजट है जो भारत को आगे लेकर जाएगा।”
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ये भारत सरकार का बजट है या बिहार सरकार का। वित्त मंत्री के पूरे बजट भाषण में क्या बिहार के अलावा किसी और राज्य का नाम सुना? जब आप देश के बजट की बात करते हैं तो उसमें पूरे देश के लिए कुछ होना चाहिए। यह दुखद है कि जिस बैसाखी पर सरकार चल रही है उसे स्थिर रखने के लिए देश के बाकी हिस्सों के विकास को दांव पर लगा दिया गया है।”