राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि देश कितना आगे बढ़ा, जनता को ये चर्चा इस बात का अहसास कराएगी. इस चर्चा में हम गहराई तक गए. हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है. ये भी साफ हुआ कि जब जब जनता ने किसी पार्टी को जनादेश दिया तो उसने सम्मान किया या नहीं किया. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. इस देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों का अभिमान चूर-चूर करने का काम किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के प्रयास से देश एकजुट हुआ. जो लोग कहते थे कि देश आत्मनिर्भर हो पाएगा या नहीं, देश आज दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है और ब्रिटेन जिसने हम पर वर्षों तक शासन किया, वह भी हमारे बाद है. उन्होंने महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद को कोट करते हुए कहा कि इन्होंने कहा था कि भारत माता जब अपने दैदीप्यमान स्वरूप में आएंगी तो दुनिया की आंखें चकाचौंध हो जाएंगी. ये भविष्यवाणी अब सच होने का समय आ गया है. देश की प्रगति पर सार्थक चर्चा हुई.
उन्होंने संविधान सभा के गठन और संविधान सभा में बहस का भी उल्लेख किया और कहा कि हमें संविधान पर गर्व है. अमित शाह ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के करीबी नंदलाल बोस की ओर से संविधान सजाए जाने का जिक्र करते हुए एक-एक चित्र का मतलब भी बताया और एक सदस्य के चित्रों की चर्चा पर कमेंट का जिक्र किया और कहा कि जो सारे चित्र लगाए गए हैं, वो राष्ट्र की यात्रा को चित्रित करने वाले हैं. कोई ये ना समझे कि हमारा संविधान महज नकल है. ऋग्वेद में भी शुभ विचार लेने की बात कही गई है. हमने सबकी अच्छी बातें ली हैं, लेकिन अपनी विरासत को नहीं छोड़ा है. चित्र के बगैर संविधान अधूरा संविधान है.
अमित शाह ने संविधान सभा के सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा, डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा हो सकता है जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, अगर वो अच्छे न हों. कोई संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो, वह अच्छा हो सकता है अगर चलाने वाले लोग अच्छे हों. परिवर्तन जीवन का मंत्र है, उसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था और इसके लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया था.
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राहुल गांधी पर साधा निशाना
संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है. एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं. वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे. बीजेपी ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए. कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए. इनका टेस्ट कैसा था. परिवर्तन का उद्देश्य क्या था. क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए. इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है. दोनों प्रमुख दलों के चार-चार संविधान संशोधन को लेना चाहूंगा. पहला संशोधन हुआ 18 जून 1951 को, ये संविधान सभा को ही संशोधन लेना पड़ा, 19 ए जोड़ा गया. अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए पहला संशोधन आया. तब पीएम नेहरू थे.