कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड सुप्रिया श्रीनेत ने SBI द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए जून तक का समय मांगने पर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने BJP की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुये इसे रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे का खुलासा करने के निर्देश दिये थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) को निर्देश दिये थे की वो चुनावी चंदे से संबंधित संपूर्ण जानकारी 6 मार्च 2024 (लोकसभा चुनाव के पूर्व) के पहले सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग को सौंपे।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फ़ैसले का पूरे देश ने बढ़ चढ़कर स्वागत किया था और इसे चुनाव में कालेधन के उपयोग और सत्ता में पूँजीपतियों की ग़ैर क़ानूनी हिस्सेदारी के खिलाफ सबसे बड़ा कदम माना जा रहा था। सत्ताधारी बीजेपी, जो कि चुनावी बॉन्ड योजना की इकलौती सबसे बड़ी लाभार्थी है, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से बेचैन थी।
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कांग्रेस नेत्री ने बताया कि इलेक्टोरल बांड योजना के 2017 में शुरू होने के बाद से पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर ₹12,000 करोड़ मिले. जिसमें BJP को अकेले लगभग 2/3 मतलब ₹6,566.11 करोड़ मिले, जबकि कांग्रेस को ₹1,123.29 करोड़ मिले। 55% धनराशि सिर्फ़ BJP को और 9.3% कांग्रेस को!
BJP को डर था कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही BJP की बेईमानी का सारा भंडाफोड़ हो जायेगा। चंदा कौन दे रहा था, उसके बदले उसको क्या मिला, उनके फ़ायदे के लिए कौन से क़ानून बनाये गये, क्या चंदा देने वालों के ख़िलाफ़ जाँच बंद की गयीं, क्या चंदा लेने के लिए जाँच की धमकी दी गयीं, यह सब पता चल जाएगा।
सुप्रिया श्रीनेत ने याद दिलाते हुए कहा कि न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 30 ऐसी कंपनियों ने करीब ₹335 करोड़ का चंदा BJP को दिया था जिनके ऊपर 2018 से 2023 के बीच एजेंसियों की कार्रवाई हुई थी और इनमें से 23 ऐसी कंपनियाँ थीं जिन्होंने पहले कभी किसी भी पार्टी को चंदा नहीं दिया था.
BJP और मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक पर जानकारी साझा नहीं करने का दबाव बनाया और कल स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवेदन देकर जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक का समय माँग लिया।
कांग्रेस ने पूछा, इन सवालों का जवाब कौन देगा ?
▪देश के सबसे बड़े पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत बैंक को इलेक्टोरल बॉंड की जानकारी देने के लिये 5 माह का समय क्यों चाहिए ? जबकि संपूर्ण जानकारी एक क्लिक से 5 मिनट में निकाली जा सकती है।
▪स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिये और समय की माँग जानकारी देने की अंतिम तिथि के एक दिन पहले ही क्यों की ? क्या कितना समय लगेगा इसकी गणना करने के लिये भी एक माह का समय लग गया ?
▪48 करोड़ अकाउंट, 66 हज़ार एटीएम और 23 हज़ार ब्रांच संचालित करने वाली SBI को केवल 22217 इलेक्टोरल बॉंड की जानकारी देने के लिये 5 महीने का समय चाहिए ?
▪सवाल उठता है कि क्या देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भी अब मोदी सरकार की आर्थिक अनियमितता और कालेधन के स्रोत को छिपाने का ज़रिया बन रहा है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या एक राजनीतिक दल और एक सरकारी बैंक मिलकर देश की उच्चतम अदालत के फ़ैसले को ठेंगा दिखा रहे हैं। क्या लोकसभा चुनाव के पहले देश की जनता को सही जानकारी प्राप्त कर मतदान में सही निर्णय लेने का हक़ नहीं है ?
BJP के कुकर्मों को छिपाने के लिये समय माँगा है
सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिये नहीं बल्कि BJP के कुकर्मों को छिपाने के लिये समय माँगा है। देश की जनता अब अच्छे से समझ रही है कि किस तरह से सरकारी एजेंसियों/संस्थाओं पर दबाव डालकर सच्चाई को छिपाया जा रहा है। देश की जनता यह भी समझ रही है हक़ीक़त छिपाने, और झूठी कहानी बनाने में मीडिया भी मोदी सरकार का हमजोली बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि जनता को इस पूरे मामले में जो समझना था, वो समझ चुकी है। अब बैंक और बीजेपी चाहे कितने भी षड्यंत्र रच लें, जनता चंदे के इस पूरे खेल के समझ चुकी है और आगामी चुनावों में बीजेपी को सबक़ सिखाने के लिये तैयार है।