‘वाह ताज’ के फनकार, मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। जाकिर हुसैन के नाम पद्म विभूषण और ग्रैमी समेत कई बड़े खिताब हैं। बताया जा रहा है कि उस्ताद जाकिर हुसैन का अमेरिका में इलाज चल रहा था। सेन फ्रांसिसको में उन्होंने अंतिम सांस ली।
वह भारतीय संगीत जगत के सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों में से एक हैं, और उनकी कला ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई है। वह भारतीय संगीत जगत के सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों में से एक थे, और उनकी कला ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई है।
जाकिर हुसैन के निधन पर कला क्षेत्र से लेकर राजनीतिक जगत तक शोक की लहर दौड़ पड़ी है। शिवराज सिंह चौहान ने जताया दुख जाकिर हुसैन के निधन पर देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शाक व्यक्त करते हुए लिखा, ‘संगीत नाटक अकादमी, ग्रैमी, पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, सुप्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद श्री जाकिर हुसैन जी का निधन कला और संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों और प्रशंसकों को यह अथाह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!
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उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। वे विश्वप्रसिद्ध तबला वादक और शास्त्रीय भारतीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। जाकिर हुसैन को तबला वादन की कला विरासत में मिली, क्योंकि उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा भी भारत के महान तबला वादकों में से एक थे।
जाकिर हुसैन ने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया, बल्कि विभिन्न संगीत शैलियों के साथ प्रयोग कर संगीत की नई परिभाषा भी गढ़ी। उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री (1988) और पद्म भूषण (2002) जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।