राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को हाल ही में पार्टी और परिवार से अलग कर दिया गया है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच तेज प्रताप को पार्टी के भीतर से ही समर्थन मिल रहा है। RJD के वरिष्ठ नेता और सांसद सुधाकर सिंह ने तेज प्रताप के पक्ष में खुलकर बयान दिया है और कहा है कि तेज प्रताप ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसे ‘गुनाह’ कहा जाए।
“तेज प्रताप का फैसला अपराध की श्रेणी में नहीं आता”
मोतिहारी में मीडिया से बातचीत करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा, “मैं तेज प्रताप यादव के फैसले को न तो अनैतिक मानता हूं और न ही अवैध। हमारे समाज में दो-दो, तीन-तीन शादियों का इतिहास रहा है। ये कोई नई बात नहीं है।” उन्होंने उदाहरण के तौर पर चिराग पासवान का जिक्र करते हुए कहा, “चिराग पासवान दूसरी मां से जन्मे हैं, ये सब समाज में पहले से होता आया है। कई लोगों की दो या तीन शादियां होती रही हैं, और लोग इसे सामान्य तौर पर स्वीकारते भी हैं।”
“लालू यादव को पिता के रूप में स्वीकार करना चाहिए”
जब सुधाकर सिंह से पूछा गया कि क्या लालू प्रसाद यादव को तेज प्रताप को माफ कर देना चाहिए, तो उन्होंने कहा, “एक पिता को अपने बेटे को अपनाना चाहिए। ये पारिवारिक मामला है और इसे उसी भावना से देखा जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेज प्रताप ने कोई ऐसा काम नहीं किया है जो कानून या नैतिकता के खिलाफ हो।

तेज प्रताप पर विवाद क्यों?
राजद नेता तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के बीच तलाक का मामला काफी समय से अदालत में लंबित है। इस बीच, अनुष्का यादव नामक महिला के साथ उनकी कथित शादी या रिश्ते को लेकर नया विवाद सामने आया है, जिस पर सत्ता पक्ष के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। इसी विवाद के बाद लालू यादव ने तेज प्रताप को पार्टी और पारिवारिक मामलों से बाहर कर दिया।
तेज प्रताप को मिल रहा है धीरे-धीरे समर्थन
तेज प्रताप यादव को लेकर जहां एक ओर विवाद गहराता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ नेता उनके समर्थन में सामने आ रहे हैं। इससे पहले पूर्व सांसद पप्पू यादव ने भी तेज प्रताप के समर्थन में बयान देते हुए कहा था, “तेज प्रताप ने कोई अपराध नहीं किया है। कोई बलात्कार तो नहीं किया है।”
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इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि पार्टी के भीतर एक वर्ग ऐसा भी है जो तेज प्रताप के साथ खड़ा है और उनके फैसलों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में देखता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव इस पारिवारिक और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच क्या रुख अपनाते हैं।