देशवासियों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी है कि अगली जनगणना वर्ष 2027 में कराई जाएगी। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत अधिसूचना जारी करते हुए जनसंख्या गणना की प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत कर दी है।
पिछली बार वर्ष 2011 में जनगणना कराई गई थी और 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते टाल दी गई थी। लंबे इंतजार के बाद अब सरकार ने इस अहम कदम की घोषणा की है, जिससे जनगणना से जुड़ी सभी तैयारियां तेज हो जाएंगी।
जनगणना की तिथि और विशेष क्षेत्र
जारी अधिसूचना के अनुसार, भारत की जनगणना वर्ष 2027 में की जाएगी। अधिकतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि (00:00 बजे) निर्धारित की गई है।
हालांकि, विशेष भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए कुछ क्षेत्रों में यह तारीख अलग होगी। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हिमाच्छादित और दुर्गम क्षेत्रों में यह गणना पहले कराई जाएगी। इन क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि तय की गई है।

जातीय जनगणना पर भी संकेत
इस बार की जनगणना में जातीय आंकड़ों को भी शामिल करने की संभावना जताई जा रही है, जिसकी पुष्टि संबंधित अधिसूचना में की गई है। लंबे समय से विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों की मांग रही है कि जनगणना में जाति आधारित डेटा भी एकत्र किया जाए।
जनगणना क्यों है जरूरी?
जनगणना केवल जनसंख्या की गिनती भर नहीं होती, बल्कि यह देश की नीतियों, योजनाओं और संसाधन आवंटन का आधार बनती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास और सामाजिक कल्याण जैसी योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिए सटीक जनसंख्या आंकड़े बेहद जरूरी हैं।
अब क्या होगा अगला कदम?
जनगणना से जुड़ी एजेंसियां और राज्य सरकारें अब तेजी से तैयारियों में जुट जाएंगी। डेटा संग्रह, डिजिटल प्लेटफॉर्म की तैयारी, प्रशिक्षकों की नियुक्ति और जन जागरूकता अभियान जैसे कार्य जल्द शुरू होंगे।
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2027 की यह जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक हो सकती है, क्योंकि इसमें तकनीक का बड़ा इस्तेमाल और संभवतः डिजिटल जनगणना की शुरुआत भी हो सकती है। अब सभी की निगाहें इस विशाल राष्ट्रीय प्रक्रिया पर टिकी हैं।