पीएम मोदी ने तेलंगाना के करीमनगर में चुनावी जनसभा को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नाव डूबने वाली है और BRS को भी ये एहसास हो चुका है कि 3 दिसंबर को उसका टिकट कट जाएगा। ये देखकर के चंद्रशेखर राव (KCR) के परिवार में भी बिखराव शुरू हो गया है। अपनी हार सामने देख एक तरफ KCR पूरी ताकत लगा रहे हैं कि जनता का आक्रोश थोड़ा ठंडा हो जाए। वहीं दूसरी तरफ KCR के रिश्तेदार अब BRS को ही कोस रहे हैं।
KCR को भाजपा की बढ़ती हुई ताकत का एहसास बहुत पहले हो गया था। लबें समय से KCR इस कोशिश में थे कि किसी तरह BJP से दोस्ती कर लें। जब वो एक बार दिल्ली आए थे, तो मुझसे मिलकर भी KCR ने यही रिक्वेस्ट की थी। लेकिन BJP तेलंगाना के लोगों की इच्छा के खिलाफ कोई भी काम नहीं कर सकती। जबसे BJP ने KCR को मना किया है, तब से BRS बौखलाई हुई है और मुझे गाली देने का कोई मौका नहीं छोड़ रही।
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ये क्षेत्र धान का कटोरा कहा जाता है। लेकिन KCR ने किसानों को पानी देने के नाम पर भी करोड़ों का भ्रष्टाचार किया। कालेश्वरम प्रोजेक्ट के साथ क्या-क्या हुआ, ये आज पूरा देश जानता है।
कांग्रेस और KCR ने आपको धोखा देने का कोई मौका नहीं छोड़ा। जब कोई परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण का नाम लेता है, तो तुरंत BRS और कांग्रेस जैसे दल ही दिखते हैं। कांग्रेस के विधायक कब BRS में चले जाएं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसलिए तेलंगाना में कोई भी कांग्रेस को वोट नहीं देगा। कांग्रेस को वोट यानी फिर से KCR की सरकार आने की संभावना। इनको सत्ता से बाहर करने का एक ही तरीका है – कमल का बटन दबाना और BJP का CM बनाना।
तेलंगाना विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 119 है। जिसके लिए एक चरण में 30 नवंबर को मत डाला जाएगा और नतीजा 3 दिसंबर को आएगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में BRS ने 88 सीटें लाकर एकतरफा जीत प्राप्त किया था। कांग्रेस को केवल 19, AIMIM को सात और बीजेपी को एक सीट पर जीत मिला था। इसबार मुकाबला कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (BRS) में है लेकिन BJP भी दम-ख़म के साथ चुनाव लड़ रही है।