मणिपुर पिछले दो महीनों से हिंसा के चपेट में है। इस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर में ही है। इसी बीच पिछले 24 घंटों में राज्य के अलग – अलग जगहों से हिंसा और अराजकता की घटना सामने आई है। कहीं टायर जलाये गए, कहीं गोलीबारी हुई है तो कहीं सुरक्षाबलों से उग्रवादियों की मुठभेड़ होने की खबर आई है। विपक्ष लम्बे समय से मुख्यमंत्री के स्तीफे की मांग कर रहा है। आज 3 बजे सीएम एन बीरेन सिंह राज्यपाल से मिलेंगे। जैसे ही इस मुलाकात की खबर आई कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे देने के कयास लगाए जाने लगे ।
गुरुवार को इम्फाल में लोगों की भीड़ मुख्यमंत्री आवास को घेरने जा रही थी। ये भीड़ बीजेपी कार्यालय पर भी हमला किया। बेकाबू भीड़ पर काबू पाने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े एवं बलप्रयोग भी करना पड़ा। पिछले दो महीनों में अबतक 120 लोगों की मरने की खबर आ चुकी है और 50,000 से अधिक लोग 300 से ज्यादा रहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो सप्ताह पहले राज्य का दौरा कर विभिन्न समुदायों के लोगों से मिल चुके हैं। वे नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मिल चुके है और शांति की अपील कर चुके हैं लेकिन उसका कोई फायदा होते नजर नहीं आया। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी भी अमेरिका दौरा से लौटने के बाद मणिपुर की घटनाओं पर बैठक की थी।
मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा
मणिपुर में गैर-जनजाति समुदाय मैतेई की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है वहीं, जनजाति समुदाय से आने वाले कुकी और नागा की आबादी 40 फीसदी है। पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने के मांग पर मणिपुर सरकार को विचार करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था। हाईकोर्ट के इसी आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए। राज्य में इतनी बड़ी आबादी मैतेई समुदाय के होने के बाद भी इस समुदाय के लोग केवल मणिपुर के 10 फीसदी घाटी के ही क्षेत्र में रह सकते हैं। मणिपुर में एक कानून है जिसके अंतर्गत मैतेई समुदाय के लोग मणिपुर के 90 फीसदी क्षेत्र जोकि पहाड़ी क्षेत्र है वहां वे न बस सकते हैं और न ही जमीन खरीद सकते हैं।
दूसरी तरफ कुकी और नगा समुदाय के लोग जो कि 40 फीसदी है वो मणिपुर के 90 फीसदी इलाकों पर अपना दबदबा रखते हैं जो कि पहाड़ी क्षेत्र है। साथ ही इस समुदाय के लोग शेष बचे 10 फीसदी इलाका जो घाटी का क्षेत्र है और जहां मैतेई समुदाय का दबदबा है वहां भी जमीन खरीद सकते हैं कर बस सकते हैं।
सारा मसला इसी बात का है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में ही रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी 90 फीसदी से अधिक इलाके में रह सकती है।