एक बार फिर मणिपुर से आई तस्वीर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिआ पर वायरल पहली तस्वीर में एक लड़का और एक लड़की बैठी हुई है जिसकी आखें बयां कर रही है कि वो किस मंजर से गुजर रही है और आगे उसके साथ क्या होने वाला है। वहीं दूसरी तस्वीर उसके आखों में दिखी उस मंजर की गवाही दे रही है जो उन दोनों की हत्या के बाद ली गई है। ये दोनों तस्वीर हत्यारों के द्वारा ली गई थी। इन दोनों की पहचान 17 साल की लड़की हिजाम लिनथोइनगांबी और 20 साल के लड़के फिजाम हेमजीत के रूप में हुई है । ये दोनों 6 जुलाई से ही लापता थे। ये दोनों साथ में बाइक से घूमने के लिए निकले थें जहाँ उन दोनों को कुकी समुदाय के लोगों के द्वारा अपहरण कर हत्या कर दी गई।
मणिपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद थी। जैसे ही इंटरनेट सेवाएं शुरू की गई ये तस्वीर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। दोनों छात्रों के हत्या के विरोध में जगह जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इस विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए छोड़े गए आंसू गैस एवं लाठीचार्ज से 45 से अधिक छात्रों के जख्मी होने की सूचना है जिसमे अधिक छात्राएं शामिल है। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मणिपुर सरकार ने 5 दिनों के लिए फिर से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है और शुक्रवार तक के लिए स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। मणिपुर के सीएम एन बिरेन सिंह ने बताया है कि इस हत्याकांड की जांच की सिफारिश CBI को कर दी गई है और जाँच शुरू भी ही चुकी है।
लोगों का कहना है की इस तरह की कई घटनाएं हुई है जिसका अभी पता नहीं लग पाया है धीरे -धीरे ऐसी और भी घटना सामना आ सकती है। वहां सुरक्षा बलों पर अविश्वाश का ये आलम है की कुकी समुदाय के लोगों का मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है तो वहीं मैतई समुदाय के लोगों का केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं अर्ध सैनिक बलों पर भरोसा नहीं है।
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मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा
मणिपुर में गैर-जनजाति समुदाय मैतेई की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है वहीं, जनजाति समुदाय से आने वाले कुकी और नागा की आबादी 40 फीसदी है। मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने के मांग पर मणिपुर सरकार को विचार करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था। हाईकोर्ट के इसी आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए। राज्य में इतनी बड़ी आबादी मैतेई समुदाय के होने के बाद भी इस समुदाय के लोग केवल मणिपुर के 10 फीसदी घाटी के ही क्षेत्र में रह सकते हैं। मणिपुर में एक कानून है जिसके अंतर्गत मैतेई समुदाय के लोग मणिपुर के 90 फीसदी क्षेत्र जोकि पहाड़ी क्षेत्र है वहां वे न बस सकते हैं और न ही जमीन खरीद सकते हैं।
दूसरी तरफ कुकी और नगा समुदाय के लोग जो कि 40 फीसदी है वो मणिपुर के 90 फीसदी इलाकों पर अपना दबदबा रखते हैं जो कि पहाड़ी क्षेत्र है। साथ ही इस समुदाय के लोग शेष बचे 10 फीसदी इलाका जो घाटी का क्षेत्र है और जहां मैतेई समुदाय का दबदबा है वहां भी जमीन खरीद सकते हैं और बस सकते हैं।
सारा मसला इसी बात का है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में ही रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी 90 फीसदी से अधिक इलाके में रह सकती है।