टीबी (क्षय रोग) से लड़ने के प्रति लोगों को ग्राम पंचायतें जागरूक कर रहा है। अलीगढ़ जनपद की 10 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं जिसे सम्मानित भी किया जा चुका है। इस मुहिम से प्रत्येक ग्राम पंचायत को जोड़ने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके लिए शुक्रवार से मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। ये मास्टर ट्रेनर ग्राम प्रधान और पंचायत सचिवों को प्रशिक्षित करेंगे। अलीगढ़ जनपद टीबी उन्मूलन के मानकों पर भी खरा उतर रहा है।
स्वास्थ्य विभाग 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। विभागीय टीमें जनपद की आबादी के सापेक्ष 20 प्रतिशत यानी 8.40 लाख लोगों को अभियान के तहत कवर कर चुकी हैं। वर्तमान में 7780 मरीज टीबी का उपचार करा रहे हैं। जन जागरूकता के लिए ऐसे लोगों को टीबी चैंपियन के रूप में सामने लाकर सहयोग लिया जा रहा है, जो नियमित उपचार से स्वस्थ हुए हैं। ये लोग टीबी रोगियों के साथ अपने अनुभव साक्षा करते हैं।
विभागीय प्रयासों का ही परिणाम है कि अलीगढ़ जनपद में जवां ब्लाक में लौहरा, गौंडा ब्लाक में कुआं गांव, इगलास ब्लाक में बरौठा, ब्योहरा, नगला अहिवासी, नौगांव व पिसावा, खैर ब्लाक में इस्माइलपुर, लोधा ब्लाक में अमरपुर नेहरा व चिकोरा (रुस्तमपुर ढोला) ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं। गांधी जयंती पर इन पंचायतों के प्रधान सम्मानित किए गए थे। अब प्रत्येक ग्राम प्रधान व पंचायतों सचिवों को प्रशिक्षित कर टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का विस्तार किया जा रहा है। मलखान सिंह जिला अस्पताल में शुक्रवार को 33 मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षित किए गए। शनिवार को भी प्रशिक्षण दिया गया। ये मास्टर ट्रेनर प्रधान व सचिवों को प्रशिक्षित करेंगे।
टीबी के लक्षण
जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि दो सप्ताह या इससे अधिक समय तक खांसी, खांसी के साथ बलगम या खून आना, वजन तेजी से कम होना, भूख न लगना, संक्रमित रोगी के संपर्क में अधिक समय तक रहने वाले व्यक्तियों को भी चिह्नित कर जांच कराई जाती है। सरकारी व निजी क्षेत्र से टीबी रोगी चिह्नित किए जाते हैं। इस वर्ष अक्टूबर तक 14980 नए रोगी चिह्नित किए गए हैं। दो हजार मरीज अन्य जिलों के थे।
मानकों पर शत प्रतिशत अंक
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में जिलावार रैंकिंग जारी होती है। जनवरी से अक्टूबर तक जनपद का अंक प्रतिशत बढ़ा है। टीबी उन्मूलन के लिए सरकार ने 100 अंक के नौ मानक इंडीकेटर तय किए हैं। इन्हीं में प्रदर्शन के आधार पर अंक दिए जाते हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल शर्मा ने बताया कि 20 अंक के पहले इंडीकेटर टीबी नोटिफिकेशन में मरीजों को चिह्नित किया जाता है। इसमें पूरे अंक मिले हैं।
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10 अंक का यूनिवर्सल ड्रग सुस्केप्टिबिलिटी टेस्ट (यूडीएसटी) है, इसमें संदिग्ध मरीजों की सीबी नाट मशीन से जांच की जाती है। इसमें 9.5 अंक मिले। 15 अंक के ट्रीटमेंट सक्सेस रेट व 10 अंक की एचआइवी जांच में भी पूरे नंबर मिले। 10 अंक के डीबीटी में 8.1 अंक प्राप्त किए। एमडीआर में 15 में से 14.2, टीपीटी में पांच में से पांच व पांच साल से छोटे बच्चों के लिए टीपीटी में पांच में से 4.9 अंक मिले हैं।