दीपावली की पांच दिनों के त्योहार की धूम अभी भी जारी है। आज गोवर्धन पूजा और कल भाई दूज है। भाई दूज हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे भाई-बहन के प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, उनकी आरती उतारती हैं, और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं। यह एक ऐसा त्यौहार है जो परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम, सुरक्षा और विश्वास को बढ़ावा देता है।
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यह त्यौहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है और इसे देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि महाराष्ट्र और गोवा में भाऊबीज, पश्चिम बंगाल में भाई फोंटा और नेपाल में इसे भाई टीका कहा जाता है।
भाई दूज 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पंचांग और ज्योतिषों के अनुसार इस साल भाई दूज की तिथि 2 नवंबर शाम आठ बजे से शुरू होकर 3 नवंबर रात दस बजकर पांच मिनट तक रहेगी। इस लिहाज से भाई दूज का त्योहार रविवार 3 नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं, तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक है।
भाई दूज की कथा और महत्व
भाई दूज की मुख्य कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर गए थे। यमुनाजी ने उनका स्वागत किया, तिलक किया, और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। इससे यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने अपनी बहन को वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसकी लंबी आयु होगी और उसे कभी यमराज का भय नहीं रहेगा। तब से यह प्रथा चली आ रही है कि भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं।
भाई दूज का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
भाई दूज न केवल धार्मिक और पारिवारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक परंपरा का भी हिस्सा है। यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है और उनके बीच प्रेम और स्नेह को प्रकट करने का एक अवसर प्रदान करता है।