Chhath Puja Nahay Khay: देशभर में आज से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। देश ही नहीं बल्कि हुनिया में भी छठ पर्व की धूम होती है। नहाय खाय के दिन श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं भात, चना दाल और लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं।
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छठ महापर्व का त्योहार हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ महापर्व खास तौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा (छठी मैया) की उपासना की जाती है, जिनसे परिवार, संतान, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है। छठ पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।
क्या होता है नहाय खाय ?
छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। नहाय-खाय का अर्थ है ‘स्नान करना और पवित्र भोजन ग्रहण करना’। यह छठ पूजा की शुरुआत का पहला चरण है, और इस दिन से व्रतियों के संकल्प का पालन शुरू होता है। नहाय-खाय के दिन व्रती (व्रत करने वाले व्यक्ति) खासतौर पर स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखते हैं और शुद्ध आहार लेते हैं।
नहाय-खाय की प्रक्रिया और महत्व
स्नान और घर की सफाई:
इस दिन व्रती सुबह स्नान करके शुद्ध होते हैं। इसके बाद अपने घर और पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई करते हैं। सफाई का विशेष महत्व होता है, क्योंकि छठ पूजा में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
पवित्र भोजन ग्रहण करना:
नहाय-खाय के दिन व्रती केवल शुद्ध और सात्विक भोजन का ही सेवन करते हैं। इस दिन बिना प्याज और लहसुन का बना भोजन किया जाता है। आमतौर पर चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल बनाया जाता है। इसे गंगा जल या अन्य पवित्र जल का उपयोग करके पकाया जाता है, ताकि भोजन में शुद्धता बनी रहे।
व्रत की शुरुआत:
नहाय-खाय के बाद व्रती व्रत की शुरुआत करते हैं। इस दिन के बाद वे कठिन व्रत की तैयारी करते हैं, जिसमें अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत भी शामिल होता है।
नहाय-खाय का महत्व
नहाय-खाय छठ पूजा के दौरान आत्म-शुद्धि का प्रतीक है। इस दिन शुद्ध आहार का सेवन करके व्रती अपने मन और शरीर को शुद्ध करते हैं। यह दिन एक प्रकार से व्रतियों के लिए मानसिक और शारीरिक तैयारी का दिन होता है, ताकि वे आगे के कठिन व्रत का पालन कर सकें।