ये है नए युग की शाकाहारी क्रान्ति..सबके लिए उपलब्ध और सबके लिए सुलभ – अमीर लोग खा रहे हैं तो गरीब भी खा सकते हैं..आप भी हो जाइये शुरू..
आपकी खिड़की भी हरी भरी रहेगी माइक्रोग्रीन्स से और आपकी सेहत भी हरी भरी रहेगी इसकी किरपा से. ये है वो सेहत की दौलत जो आपके भीतर और बाहर दोनों जगह जगमगाएगी.
इसे आप खिड़की में रखें दालान में रखें या अपनी बगिया में रखें -कहीं भी रखें, माइक्रोग्रीन्स की हरीतिमा आपको खुश ही नज़र आएगी.
आपकी खिड़की से शुरू हो कर माइक्रोग्रीन्स आपके किचन तक आता है और आपके किचन से आपके मुँह में और फिर पेट में – इस तरह चलती है माइक्रोग्रीन्स की यात्रा. घर के बाहर लॉन हो या गार्डन – या खिड़की या ड्राइंग रूम – हर जगह माइक्रोग्रीन्स के सुन्दर प्यारे पौधे शोभा बढ़ाते हैं. और ये शोभा नकली नहीं है क्योंकि ये पौधे गोल्ड मैं हैं आपके घर में आपकी सेहत के लिए !
सेहत के लिए माइक्रोग्रीन्स के रसोई में भी बहुत सारे उपयोग हैं. पहले हम ये जान लेते हैं कि माइक्रोग्रीन्स वास्तव में क्या हैं और माइक्रोग्रीन्स के रूप में कौन-कौन सी पौधों की प्रजातियाँ उगाई जा सकती हैं.
न सिर्फ सुन्दर दिखाई देते हैं माइक्रोग्रीन्स बल्कि इनका स्वाद भी बहुत अच्छा होता है और ये पौष्टिक तो उससे भी अधिक होते हैं.
अमेरिका से चल कर आया है ये सुपरफूड है जो बागवानी में नए लोगों के लिए बहुत काम का है. इतना ही नहीं इनका इस्तेमाल बागवानी पेशेवरों के व्यंजनों को मसालेदार बनाने के लिए भी किया जा सकता है. माइक्रोग्रीन्स का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये काफी सस्ते होते हैं और दूसरा, इनको उगाने में भी बहुत अधिक समय खर्च नहीं होता.
पर यहां ये उल्लेख करना महत्वपूर्ण हो जाता है कि माइक्रोग्रीन्स को सेहतवाले आहार के लिए और सही डाइट वाले संतुलित आहार के रूप में भी खाया जाने लगा है.
आइये आपको बताते हैं कि कौन-कौन सी जड़ी-बूटियाँ और सब्ज़ियाँ माइक्रोग्रीन्स के रूप में उगाने के बहुत काम की हैं. हम आपको ये भी बताएँगे कि आप इनको अपनी रसोई में कैसे उपयोग में ला सकते हैं.
माइक्रोग्रीन्स आखिर है क्या
“माइक्रोग्रीन्स” शब्द का अर्थ है बहुत छोटी हरीतिमा – और बेहतर करके कहें कि बहुत छोटे सब्जी और जड़ी-बूटी के पौधे – ये वो पौधे होते हैं जो खाने के लिए उपयुक्त होते हैं.
इसका मतलब है कि इंतजार नहीं करना है – आपको फल या पूरी तरह से विकसित पत्तेदार साग का खाने या बनाने के लिये उपयोग करने के लिए इंतजार नहीं करना है. बजाये इसके आप सिर्फ एक से दो हफ्ते के बाद इन नन्हें पौधों को काट सकते हैं और खा सकते हैं.
बागवानी की दुनिया में नया कदम रखने वाले नौसिखियों के लिए भी माइक्रोग्रीन्स उगाना मुश्किल नहीं है. आप इसको किसी भी खिड़की या चबूतरे पर या दालान या लिविंग रूम में उगा सकते हैं. .
स्प्राउट नहीं हैं माइक्रोग्रीन्स
माइक्रोग्रीन्स और स्प्राउट्स में अंतर है. जो बीज अंकुरित हो जाते हैं वे स्प्राउट्स कहलाते हैं. ऐसी हालत में इन बीजों के नन्हें पत्ते पहले से ही दिखाई देने लगते हैं, लेकिन वे अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं. इसके विपरीत माइक्रोग्रीन्स थोड़े पुराने याने थोड़ी सी ज्यादा उमर के होते हैं और इनमें पहले से ही खास किस्म के बीजों के पत्त दिखाई देने लगते हैं.
स्प्राउट्स के उलट माइक्रोग्रीन्स को सब्सट्रेट की सतह पर ठीक ऊपर से काटा जाता है. वहीं स्प्राउट्स को सब्सट्रेट में नहीं उगाते हैं और उनका पूरा इस्तेमाल किया जाता है.
सामान्यतः सब्जियों औऱ जड़ी-बूटियों के पौधों सहित हर फसल को माइक्रोग्रीन्स या माइक्रोहर्ब्स के रूप में उगाया जा सकता है और खाया जा सकता है. टमाटर (सोलनम लाइकोपर्सिकम), या आलू (सोलनम ट्यूबरोसम) जैसे नाइटशेड वाले पौधे माइक्रोग्रीन्स के रूप में उगाने के लिए ठीक नहीं हैं क्योंकि उनके पत्तेदार साग के भीतर सोलनिन होता है, जो हम सबके लिये खाने योग्य नहीं होता बल्कि विषाक्त होता है.
जड़ी-बूटियों में माइक्रोग्रीन्स
माइक्रोग्रीन्स में जड़ी बूटियों की बात करें तो डॉक (रूमेक्स), सौंफ (पिम्पिनेला एनिसम), तुलसी (ओसीमम बेसिलिकम), डिल (एनेथम ग्रेवोलेंस), गार्डन ओराचे (एट्रिप्लेक्स हॉर्टेंसिस), चेरविल (एन्थ्रिस्कस सेरेफोलियम), धनिया (कोरियनड्रम सैटिवम), पुदीना (मेंथा), अजमोद (पेट्रोसेलिनम क्रिस्पम), नींबू बाम (मेलिसा ऑफिसिनेलिस), आदि.
ब्रैसिका और सूरजमुखी पौधों से उगाए गए माइक्रोग्रीन्स खाना पकाने में बहुत वैराइटी लाते हैं.
सब्ज़ियों में माइक्रोग्रीन्स
फिर सब्ज़ियों में माइक्रोग्रीन्स के लिये फूलगोभी (ब्रैसिका ओलेरेशिया var . बोट्राइटिस), ब्रोकोली (ब्रैसिका ओलेरासिया वर् . इटालिका), बीन्स (फेजोलस वल्गेरिस), मटर (पाइसम सैटिवम), पत्तेदार हंसफुट (ब्लिटम विर्गेटम), सौंफ़ (फोनीकुलम वल्गेरे), वसंत प्याज (एलियम फिस्टुलोसम), गाजर (डकस कैरोटा उपप्रजाति सैटाइवस), चार्ड (बीटा वल्गेरिस उपप्रजाति वल्गेरिस), पाक चोई (ब्रैसिका रापा उपप्रजाति चिनेंसिस), मूली (राफानस सैटिवस वर . सैटिवस), चुकंदर (बीटा वल्गेरिस), लाल पत्तागोभी (ब्रैसिका ओलेरासिया कन्वर . कैपिटाटा वर . रूब्रा), रॉकेट (एरुका सातिवा), अजवाइन (एपियम ग्रेवोलेंस वर . डल्से), आदि.