आठ महीने पहले इस साल दिल्ली कैपिटल्स ने अपने लिए खेलते देखा था पृथ्वी शॉ को अप्रेल के महीने में. लेकिन अब ये साल जा रहा है और नया साल आ रहा है नए आईपीएल के संस्करण के साथ. और इन आठ माह में शॉ ने पूरी दुनिया को बदलते देखा है.
नए आईपीएल के लिए हुई मेगा नीलामी में इस बार पृथ्वी शॉ को कोई खरीद ही नहीं पाया. इसकी वजह ये नहीं थी कि पृथ्वी ने अपनी कीमत ज्यादा लगाईं थी. वजह ये थी कि उसकी कीमत ही नहीं लगाई किसी ने.
बहुत अजीब होता है एक ऐसे दिन का आना. ख़ास कर उस क्रिकेटर के लिए जिसे कुछ समय पहले तक भारतीय क्रिकेट का वंडर बॉय माना जा रहा था.
अभी दो हफ्ते पहले नवम्बर में ऋषभ पंत को आईपीएल के इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी का रूतबा मिला जब उनको सऊदी अरब में हुई मेगा नीलामी में लखनऊ सुपरजायंट्स ने खरीदा 27 करोड़ रुपये (£2.54m) में.
हाँ ये खबर तो बनी साथ में एक खबर और भी बनी – लेकिन पंत के दिल्ली कैपिटल्स टीममेट पृथ्वी शॉ अनसोल्ड रह गए. सबको आश्चर्य हुआ और कुछ को अफ़सोस भी.
बोली लगाने वालों के बीच इस नीलामी में सौरव गांगुली और रिकी पोंटिंग जैसे दिग्गज शामिल थे, जिन्होंने दिल्ली कैपिटल्स के साथ कई साल अपनी उपस्थिति के समय शॉ के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े रहे थे. वहां राहुल द्रविड़ भी थे, जो साल 2018 में पृथ्वी शॉ के नेतृत्व में जब भारत ने अंडर-19 विश्व कप जीता था तब टीम के कोच वही थे.
शॉ को लेकर इस बार उनकी उदासीनता भी साफ दिखाई दे रही थी. शॉ के लिए शायद इस बार आईपीएल में कोई खरीदार आया ही नहीं था.
देखिये इस विडंबना को. शॉ के दिल्ली कैपिटल वाले साथी ऋषभ पंत का करियर इस साल 2024 के आईपीएल सीजन की शुरुआत से नौ माह पहले तक तो खतरे में दिखाई दे रहा था.
पंत के साथ तो दिसंबर 2022 में हुई थी एक भयानक कार दुर्घटना जिसमे आई थीं जानलेवा चोटें उनको. मगर इसके बाद अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के सहारे अनुशासन और लगन को अपना रास्ता बना कर अँधेरे से रौशनी में वापस आ गए पंत. ये भी करिश्मे से अधिक एक कीर्तिमान है कि जब किसी बल्लेबाज़ ने अपने करियर के उस मोड़ से वापसी की थी जहां उनका करियर एक डेड एन्ड पर खड़ा था.
शॉ को खेलते हुए देखने की कुछ आखिरी यादों में 7 अप्रैल, 2024 का वो मैच भी है जब मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में दिल्ली कैपिटल्स और मुंबई इंडियंस के बीच आठ माह पहले आईपीएल के मैच में दिल्ली कैप्ट्लस के शॉ को मुंबई इंडियंस के बुमराह ने क्लीन बोल्ड किया था.
इसी साल पृथ्वी शॉ ने मुंबई के खिलाफ एक गेम में गेंदबाजी भी की थी – मगर उनके लगातार चल रहे खराब फॉर्म ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया.
घायल हो कर ठीक हुए पंत ने इसी साल आईपीएल 2024 की चुनौतियों पर अपने बल्ले से डटकर प्रहार किया और उनके बेहतरीन प्रदर्शन ने उनको अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में फिर वापसी दिला दी. पंत टी20 विश्व कप जीतने वाली टीम इण्डिया में भी रहे और उन्होंने घरेलू सत्र में दबदबा बनाते हुए फिर से अपनी बल्लेबाज़ी का जौहर दिखाया. घरेलू दलीप ट्रॉफी में उनकी बैटिंग ने सबको प्रभावित किया. फिर टेस्ट क्रिकेट में उनकी सनसनीखेज वापसी हुई. फिर तो बांग्लादेश के खिलाफ उनका शानदार शतक मैदान में उनकी भीमसेनी उपस्थिति का प्रमाण बना.
दूसरी तरफ अंडर 19 वर्ल्ड कप विजेता टीम के नायक पृथ्वी अपने खराब फॉर्म से ही जूझते रहे. आईपीएल के कुछ खराब प्रदर्शन तो उनको दुखी कर ही रहे थे, उसके अलावा भी दबाव में आये पृथ्वी शॉ पर एक के बाद दूसरा संकट सर पर मंडराता रहा.
इस साल के आईपीएल ने उनके खराब फॉर्म को माफ़ नहीं किया और पृथ्वी को बीच सत्र में ही प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह नहीं मिल पाई. मौजूदा घरेलू सत्र में पृथ्वी के बल्ले ने लगातार कम स्कोर करके उनको मुंबई रणजी ट्रॉफी टीम से भी बाहर करा दिया. और अब आईपीएल की मेगा नीलामी ने पूरी तरह से पृथ्वी के आसमानी कद को खारिज कर दिया. शायद समय के काफी पहले उनका करियर अपने खात्मे के मुकाम पर पहुंच गया है.
इस 25 साल के बड़े खिलाड़ी के लिए ऐसी गिरावट छोटी नहीं है. पृथ्वी शॉ वही खिलाडी है जिसे कुछ समय पहले तक भारतीय क्रिकेट की ‘अगली बड़ी शख्सियत’ के रूप में देखा गया था.
ग्यारह साल पहले साल 2013 के आखिरी दो महीनो में देश ने एक नया नाम सुना. नवंबर 2013 में 14 साल का एक क्रिकेटर अचानक सुर्खियों में आया था. उसने हैरिस शील्ड नामक एक प्रतिष्ठित स्कूल के क्रिकेट टूर्नामेंट में रिजवी स्प्रिंगफील्ड के लिए अकेले ही 546 रन का पर्वत खड़ा कर दिया था. उस साल तक छोटे क्रिकेट की बड़ी दुनिया में ये सबसे बड़ा स्कोर था.
टाइमिंग तो देखिये, ये वही साल था जब भारत के सबसे मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने सन्यास लिया था और उसके एक हफ्ते बाद ही पृथ्वी शॉ की तुलना दिग्गज तेंदुलकर से की जाने लगी थी.
इसके पहले चौबीस साल पहले भी ऐसा ही कुछ हुआ था और तब एक दुसरे पृथ्वी शॉ के साथ भी ऐसा ही हुआ था. साल 1987 में तेंदुलकर के साथ उनके क्रिकेटर दोस्त विनोद कांबली ने एक स्कूल मैच में 664 रनों की ऐसी साझेदारी की थी जिसने विश्व कीर्तिमान बना दिया था. ऐसी प्रतिभाशाली लोकप्रियता के दुनिया भर के प्रशंसकों में से एक पृथ्वी शॉ भी थे.
कद छोटा और बदन थोड़ा मोटा – सलामी बल्लेबाज शॉ में तकनीकी हुनर नहीं था जैसा कि तेंदुलकर के पास था शुरू से ही. लेकिन शॉ के पास टाइमिंग वाला कौशल था और गेंदबाजों पर वो इस तरह टूट पड़ते थे की चयनकर्ता तुरंत उनके प्रशंसक बन जाया करते थे.
शॉ को भी तेंदुलकर की तरह ही प्रथम श्रेणी क्रिकेट में स्थान प्राप्त हुआ और उन्होंने घरेलू दलीप ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी में डेब्यू के समय ही शतक ठोंक डाला और तब तेंदुलकर के साथ शॉ की तुलना और भी जोरदार हो गई.
सात साल बाद 2018 में आखिरी महीनों के दौरन शॉ को वेस्टइंडीज के खिलाफ इंडियन टेस्ट क्रिकेट स्क्वाड में शामिल किया गया. उस समय दर्शको ने देखा किस तरह शॉ ने राइफल-शॉट ड्राइव लगाए कैसे कट किये और किस अंदाज़ में पुल लगा कर 154 गेंदों पर 134 रन जड़ दिए थे. इंडियन क्रिकेट के इस वंडर बॉय की आयु उस समय केवल 19 साल थी. टीम इण्डिया में सिर्फ तेंदुलकर ने ही कम उम्र में अपना पहला टेस्ट शतक लगाया था.
शॉ को एक साथ दो महान क्रिकेटरों का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया था. तेंदुलकर और विराट कोहली के बाद उनसे ही भारतीय क्रिकेट ने आसमानी बुलंदी की उम्मीद की थी. लेकिन शायद यही वो वक्त था जब अचानक नज़र लग गई आकाश पर उदीयमान पृथ्वी को.
बुरी नज़र वालों ने शायद आहें भी लगा दी अपनी. इसके बाद से शॉ फिसलन भरी ढलान पर दिखाई दे रहे हैं. सम्हलना तो छोड़िये वे खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं. पता नहीं अचानक ये हुआ क्या?