28 मार्च को म्यांमार और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिससे दोनों देशों में भारी दहशत का माहौल बन गया। मौसम विभाग के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई, जो काफी घातक था। इस भूकंप के कारण थाईलैंड के कई शहरों में इमारतें हिलने और सड़कों पर दरारें आने की खबरें सामने आई हैं।
भूकंप का समय और केंद्र
यूएसजेस (USGS) के मुताबिक, भूकंप म्यांमार में आज दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर आया था। इसका केंद्र सागाइंग क्षेत्र से उत्तर पश्चिम में 16 किलोमीटर दूर था। इसके 12 मिनट बाद, दूसरा झटका महसूस हुआ जिसकी तीव्रता 6.4 मापी गई, और इसका केंद्र थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक था। भूकंप के इन झटकों ने स्थानीय लोगों में भय और चिंता का माहौल बना दिया।
भारत ने व्यक्त की चिंता और दी सहायता का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप के बाद चिंता जताई और दोनों देशों के साथ भारत की पूर्ण सहानुभूति व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, “मैं सभी की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत ने सभी संभव सहायता प्रदान करने का वचन दिया है। इस संदर्भ में, भारतीय अधिकारियों को तैयार रहने के लिए कहा गया है। साथ ही, विदेश मंत्रालय (MEA) से म्यांमार और थाईलैंड सरकारों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है।”
भारत की तत्परता और राहत प्रयास
भारत ने इस आपातकालीन स्थिति में राहत प्रदान करने के लिए तत्परता दिखाते हुए त्वरित सहायता के लिए कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अधिकारियों को त्वरित राहत देने के लिए अलर्ट रहने का निर्देश दिया है, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में जल्दी मदद पहुंचाई जा सके। इसके साथ ही, विदेश मंत्रालय को म्यांमार और थाईलैंड की सरकारों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।
भूकंप के प्रभाव और राहत कार्य
भूकंप के झटके के बाद थाईलैंड के कई शहरों में भवनों और संरचनाओं में नुकसान की खबरें आई हैं। सड़कों पर दरारें आने और इमारतों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई स्थानों पर यातायात प्रभावित हुआ है। राहत और बचाव कार्यों में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां भी जुटी हुई हैं।
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यह भूकंप म्यांमार और थाईलैंड के लिए एक बड़ी आपदा साबित हो सकता है। हालांकि, भारत ने अपनी तत्परता और सहायता देने के लिए जो कदम उठाए हैं, उससे प्रभावित देशों को राहत मिलने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि म्यांमार और थाईलैंड की सरकारें इस स्थिति से कैसे निपटती हैं और राहत कार्य कितने प्रभावी होते हैं।