मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को आर्थिक संबल देने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। राज्य में ज़ायद सीज़न की मूंग और मूंगफली फसलों की सरकारी ख़रीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शुरू हो चुकी है। यह पहल 29 अगस्त (मूंगफली) और 2 सितंबर (मूंग) तक जारी रहेगी, जिससे प्रदेश के लाखों लघु और सीमांत किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
MSP दरें और ख़रीद लक्ष्य
सरकार ने इस बार मूंग का समर्थन मूल्य ₹8,682 प्रति क्विंटल और मूंगफली का ₹6,783 प्रति क्विंटल तय किया है। कुल मिलाकर 34,720 मीट्रिक टन मूंग और 50,750 मीट्रिक टन मूंगफली की ख़रीद का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्य को दो केंद्रीय एजेंसियाँ—नेफ़ेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) मिलकर अंजाम देंगी।
- नेफ़ेड: 24,304 टन मूंग और 35,525 टन मूंगफली
- एनसीसीएफ: 10,416 टन मूंग और 15,225 टन मूंगफली
यह पूरा अभियान केंद्र की प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत संचालित हो रहा है, जिसमें राज्य-स्तरीय सहकारी समितियाँ और विपणन मंडियाँ सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
पंजीकरण से लेकर भुगतान तक, प्रक्रिया बेहद सरल
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
- पंजीकरण के लिए किसान को आधार, बैंक खाता और भूमि दस्तावेज़ जमा कराने होंगे।
- हर ज़िले में कई ख़रीद केंद्र बनाए गए हैं, ताकि किसानों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े।
- उपज की गुणवत्ता जाँच और तौल के बाद 72 घंटों के भीतर भुगतान सीधा किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा।
दाल-तिलहन उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
भारत आज भी दालों और खाद्य तेलों की भारी मात्रा में आयात करता है। ऐसे में यह योजना घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी में वृद्धि भी इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर की गई है।
उदाहरण के तौर पर, मूंग का समर्थन मूल्य 2024-25 में ₹8,558 से बढ़ाकर ₹8,682 किया गया है, जबकि मूंगफली का मूल्य ₹6,377 से ₹6,783 प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
PM-AASHA योजना और PSS के तहत बीते 11 वर्षों में दाल और तिलहन की सरकारी ख़रीद में 7,350% की वृद्धि हुई है। इससे किसानों को बाजार में न्यूनतम मूल्य की गारंटी मिली है और बिचौलियों पर निर्भरता भी घटी है।
जिलावार ज़िम्मेदारी
- नेफ़ेड को मथुरा, अलीगढ़, आगरा, कानपुर नगर, गौतमबुद्ध नगर, झाँसी, वाराणसी, लखीमपुर खीरी समेत 55 ज़िलों में मूंग और मैनपुरी, हरदोई, इटावा में मूंगफली ख़रीदने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
- एनसीसीएफ कानपुर देहात, प्रयागराज, रायबरेली, बुलंदशहर, चंदौली, बदायूँ, हापुड़ जैसे 19 ज़िलों में मूंग और फ़र्रुख़ाबाद, कासगंज, एटा, उन्नाव, श्रावस्ती जैसे 12 ज़िलों में मूंगफली खरीदेगा।
किसानों को मिलेंगे ये फायदे
- सीधी आय: एमएसपी पर उपज बेचकर किसान को तुरंत भुगतान मिलेगा।
- लागत की भरपाई: एमएसपी लागत मूल्य से कम से कम 50% अधिक है, जिससे खेती लाभदायक बनेगी।
- फसल विविधीकरण: दाल और तिलहन का भरोसेमंद बाज़ार मिलने से किसान गन्ना और धान जैसी पारंपरिक फसलों से हटकर नई फसलें अपनाने को प्रेरित होंगे।
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यह योजना न सिर्फ़ किसानों को आर्थिक संबल देगी, बल्कि देश को दाल और खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कड़ी साबित होगी। किसानों को चाहिए कि वे समय रहते पंजीकरण कराकर इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं।