गोंडा जिले में पंचायत सचिवों की घोर लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां 45 ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए करीब 62 लाख रुपये की राशि का अनियमित भुगतान किया गया है। यह राशि राज्य वित्त आयोग से विकास कार्यों के लिए प्राप्त हुई थी, जिसका उद्देश्य ग्राम पंचायतों में पारदर्शी ढंग से कार्य कराना था।
निर्धारित प्रक्रिया की अनदेखी
गोंडा जिला प्रशासन के अनुसार, सचिवों को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सभी भुगतान पंचायत सचिवालय से ही ग्राम स्वराज पोर्टल (गेट-टू-एस) के माध्यम से किए जाएं। इसके लिए प्रत्येक पंचायत सचिवालय में कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। बावजूद इसके, जांच में यह सामने आया कि 45 पंचायत सचिवों ने भुगतान निजी साइबर कैफे या अन्य स्थानों से किया, जो कि नियमों का उल्लंघन है।
प्रशासन ने अपनाया सख्त रुख
जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) लालजी दुबे ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित सभी सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सभी सचिवों को तीन दिन के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है। चेतावनी दी गई है कि यदि तय समय में जवाब नहीं मिला, तो इसे लापरवाही मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इन ग्राम पंचायतों में हुआ नियम उल्लंघन
अनियमित भुगतान करने वाली ग्राम पंचायतों में छपिया ब्लॉक की भवसिंहपुर, दरियापुर, इटैलाबुजुर्ग, माड़ा, सुरवार खुर्द, सिसहनी, बेलसर आदि शामिल हैं। हलधरमऊ ब्लॉक की पहाड़ापुर, बालपुर हजारी, धमसड़ा, तथा नवाबगंज, परसपुर और रुपईडीह ब्लॉक की कई पंचायतों में भी यही स्थिति देखी गई।
प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी स्थानों पर कार्यों का भुगतान पंचायत भवन की बजाय बाहरी संसाधनों से किया गया, जिससे प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।
नामजद सचिवों में कई प्रमुख नाम
जिन सचिवों को नोटिस भेजा गया है, उनमें संजय कुमार जायसवाल, दिनेश कुमार प्रजापति, नीलम रानी, राकेश कुमार तिवारी, विवेकानंद, राकेश कुमार मौर्य, संतोष कुमार मिश्रा सहित अन्य कई नाम शामिल हैं। प्रशासन का कहना है कि यह लापरवाही केवल वित्तीय नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि सरकारी व्यवस्था की अवहेलना भी है।
डीपीआरओ की चेतावनी
डीपीआरओ लालजी दुबे ने कहा, “यह मामला बेहद गंभीर है। पंचायत सचिवों को बार-बार दिशा-निर्देश दिए गए थे कि वे केवल पंचायत सचिवालय से ही भुगतान करें। अब यदि तय समय में जवाब नहीं आता, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।’’
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यह मामला एक बार फिर ग्राम पंचायतों में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है। यदि समय रहते इन सचिवों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह लापरवाही अन्य पंचायतों में भी एक गलत मिसाल बन सकती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से आगे बढ़ता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।