आज कार्तिक पूर्णिमा का दिन है जो हिंदू धर्म के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है। आज ही देव दीपावली भी है। आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा घाटों के किनारे दीए जलाए जाते हैं। इस साल देव दीपावली
15 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है।
देव दीपावली (जिसे देव दिवाली भी कहा जाता है) एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे देवताओं की दीपावली के रूप में जाना जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
वाराणसी के विद्वानों के अनुसार पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
कहां-कहां जलाएं दीए
देव दीवाली के दिन आप पूजा स्थल में तो दीया जरूर जलाएं उसके अलावा तुलसी के पास घी का दीपक जलाने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। घर के मुख्य द्वार पर भी 5,7 ,11 या 21 दीए जलाएं।
घर के किचन में माता अन्नपूर्णा के नाम का दीया जरूर जलाएं। अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी घर के दक्षिण कोने में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
देव दीपावली का महत्व
धार्मिक कथा: इस पर्व को त्रिपुरासुर नामक राक्षस के वध और भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं स्वर्गलोक से धरती पर आते हैं और गंगा तट पर दीप जलाकर शिव की आराधना करते हैं।
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आध्यात्मिक महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस दिन गंगा स्नान, दान, और दीपदान का विशेष महत्व है। इसे मोक्ष प्राप्ति का पर्व भी माना जाता है।
- पूजन विधि
गंगा स्नान: श्रद्धालु सुबह गंगा में स्नान करते हैं। - दीपदान: गंगा के घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं।
- आरती: गंगा की विशेष आरती की जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
- भजन-कीर्तन: इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा, भजन-कीर्तन और हवन किए जाते हैं।
काशी में उत्सव का दृश्य
काशी में देव दीपावली का दृश्य अत्यंत भव्य होता है। गंगा के तट पर सभी घाट दीपों की रोशनी से जगमगा उठते हैं। यह नजारा श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही पवित्र और मनमोहक होता है।