एक आधिकारिक बयान के माध्यम से जानकारी दी गई है कि समीक्षा अवधि के दौरान कुल महिला सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है जो लगभग 2.79 लाख रही जो अधिक समावेशी और विविधतापूर्ण कार्यबल की दिशा में व्यापक बदलाव का संकेत है.
EPFO अर्थात कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से दो माह पहले जुड़े नए सदस्यों की संख्या 13.41 लाख रही है. इससे पता चलता है कि भारत रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं. केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा यह बयान कल बुधवार (25 दिसंबर) को दिया गया.
साढ़े सात लाख नए सदस्य
मंत्रालय के बयान के अनुसार दो माह पहले अक्टूबर 2024 में EPFO से लगभग साढ़े सात लाख नए सदस्य जुड़े हैं, जिनमें से 58.49 प्रतिशत सदस्यों का आयु वर्ग 18 से 25 के बीच का था. इस युवा आयु वर्ग के सदस्यों की कुल गणना 5.43 लाख है.
रोजगार के क्षेत्र में बढ़ते अवसर
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह आंकड़ा पहले के रुझान के जैसा ही है जो बताता है कि संगठित कार्यबल में सम्मिलित होने वाले ज्यादातर लोग युवा हैं. इस वर्ग में मुख्य रूप से पहली बार नौकरी की तलाश करने वाले लोग सम्मिलित हैं. यह संकेत अर्थव्यवस्था में रोजगार के वृद्धिमान अवसरों को दर्शाता है.
पेरोल डेटा का आकलन
पेरोल डेटा के माध्यम से सामने आई जानकारी के अनुसार, लगभग तेरह (12.90) लाख सदस्य EPFO की सूची से बाहर आ गए गए और फिर से इसमें सम्मिलित हो गए हैं. अक्टूबर 2023 की तुलना में यह आंकड़ा वार्षिक आधार पर 16.23 प्रतिशत ज्यादा है.
संचयित धन को स्थानांतरित करने का विकल्प
EPFO में शामिल हुए इन नए सदस्यों ने अपनी नौकरी में परिवर्तन किया और EPFO के दायरे में आने वाले कंपनियों में फिर से सम्मिलित हो गए. इन सदस्यों ने आखिरी निपटान के लिए आवेदन नहीं किया बल्कि संचयित धन को स्थानांतरित करने के विकल्प को चुन लिया. इस प्रकार इन्होने अपनी वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा का विस्तार किया.
पेरोल डेटा में लिंग को ध्यान में रख कर विश्लेषण करने पर पता चलता है कि अक्टूबर के दौरान जोड़े गए नए सदस्यों में से लगभग 2.09 लाख नए सदस्य महिलायें हैं. अक्टूबर 2023 की तुलना में यह आंकड़ा सालाना आधार पर 2.12 फीसदी ज्यादा है.
बढ़ी संख्या महिला सदस्यों की
आधिकारिक बयान से जानकारी मिली है कि समीक्षा अवधि के समय कुल महिला सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी 2.79 लाख रही. महिला सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी ज्यादा विविधतापूर्ण और समावेशी कार्यबल की ओर व्यापक परिवर्तन की तरफ संकेत देता है.
राज्यों को दृष्टि में रखकर जब पेरोल डेटा का विश्लेषण किया गया तो जानकारी मिली कि EPFO से जुड़े कुल सदस्यों में सबसे ऊपर पांच और केंद्र शासित प्रदेशों की हिस्सेदारी 61.32 फीसदी की रही है.