किसान आंदोलन के दौरान पंजाब और हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण सिंह की मौत की न्यायिक जांच का आदेश पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (एसीजे) जीएस संधवालिया और न्यायमूर्ति लपीता बनर्जी ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “स्पष्ट कारणों से” पंजाब या हरियाणा को प्रदर्शन किसान की मौत की जाँच नहीं सौंपी जा सकती है। कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जिसमें एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय का न्यायाधीश और एडीजीपी रैंक के दो अधिकारी, एक हरियाणा के और एक पंजाब के शामिल होंगे।
कोर्ट ने बच्चों के इस्तेमाल पर याचिकाकर्ता को आड़े-हाथों लिया
पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने दोनों राज्य सरकारों को आज शाम 4 बजे तक एडीजीपी अधिकारी के नाम देने का निर्देश दिया है। जब हरियाणा सरकार द्वारा प्रदर्शन की जगहों की तस्वीरें दिखाईं गई तो एसीजे संधावालिया ने याचिकाकर्ताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “बच्चों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था, यह बिल्कुल शर्मनाक है!..यह एक दुखद स्थिति है, जिन बच्चों को स्कूल में पढ़ना चाहिए उन्हें दिखाया जाता है कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए…यह एक युद्ध जैसी स्थिति थी।”
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एफआईआर दर्ज करने में देरी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
उच्च न्यायालय ने हरियाणा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलियां, रबर बुलेट का इस्तेमाल किये जाने पर हरियाणा सरकार को पूरा विवरण देने को कहा है। कोर्ट ने राज्यों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए स्पष्ट रूप से माना है कि अत्यधिक पुलिस बल के कारन मौत हुई है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदर्शनकारी की मौत पर एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए पंजाब पुलिस की खिंचाई की। आपको बताते चलें कि घटना 21 फरवरी को हुई थी और पंजाब पुलिस ने एफआईआर 28 फरवरी को दर्ज की थी।
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किसान लगभग 25 दिनों से फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देने एवं अन्य मांग कर रहे हैं।