इस साल पांच अगस्त को एक जहरीली तारीख आई थी बांग्लादेश के कैलेंडर में. ये वो कैलेंडर थे जो वहां के हिन्दुओं के घरों में टंगे थे. इस दिन से शुरू हुआ इन हिन्दुओं का नरसंहार.
एक सौ बीस दिनों से ज्यादा दिनों से जारी है बांग्लादेश में हिन्दुओं का नरसंहार लेकिन भारत की सरकार शांत बैठी है. बताया तो जा रहा है कि भारत दुनिया के दुसरे देशों से उम्मीद कर रहा है कि वो बांग्लादेश को समझाइश दें और हिन्दुओं पर हमले रोकें. लेकिन जो देश भारत की सीमा से लगा है जिसे भारत ने बनाया है -उस छोटे से देश के विरुद्ध जब भारत स्वयं ही अपने मूल नागरिकों को मरने से नहीं बचा सकता तो बाहर से कौन आएगा और बचाएगा!
लेकिन भारत की भद्रता देखिये. भारत ने बता दिया दुनिया को कि हम गांधी के देश हैं-एक गाल पे मारोगे तो दूसरा आगे कर देंगे. जहां एक तरफ हिन्दुओं पर हमले चल रहे थे, वहीं दूसरी तरफ भारत की क्रिकेट टीम को बांग्लादेश में क्रिकेट खेलने भेज दिया गया था. हिन्दू मरते हैं तो मरते रहें, हमारी बला से ! हम तो क्रिकेट डिप्लोमेसी कर रहे हैं एक आतंकी देश के साथ.
अब भारत के विदेश सचिव बांग्लादेश के दौरे पर हैं. ऐसा पहली बार हुआ है 5 अगस्त के बाद में जब से शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद किसी भारतीय अधिकारी ने बांग्लादेश का दौरा किया है. पता नहीं क्यों हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री और विदेश मंत्री या रक्षामंत्री बांग्लादेश के दौरे पर क्यों नहीं जा रहे हैं. जब वहां सब शान्ति शान्ति है तो जाना चाहिए न, विदेश सचिव बेचारा क्या तीर मार लेगा. उम्मीद है कि दोनों देशों के विदेश सचिव अत्यंत प्रेम से गले मिले होंगे.
भारत और बांग्लादेश का खेल और सचिव स्तरीय प्रेम देख कर अमेरिका की आँखों में आंसू छलक आये हैं. अमेरिका भी अपनेआप को बोलने से रोक नहीं पाया है. और अब आखिर अमेरिका ने कह ही दिया है कि वह चाहता है कि भारत और बांग्लादेश अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं. इतनी महान बात सुन कर भारत सरकार के कई नेताओं का दिल भर आया है.
India-Bangladesh Tension: दरअसल अमेरिका ने सोचा कि इस विषय पर मुझे भी तो कुछ बोलना चाहिए. तो उसे जो समझ आया उसने बोल दिया. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने एक दिन पहले याने कल मंगलवार (10 दिसंबर) को एक प्रेसवार्ता में ये बयान दिया. मिलर को जब बताया गया कि भारत के विदेश सचिव की हाल की बांग्लादेश यात्रा सफल रही है और दोनों देशों के बीच सचिव स्तरीय प्रेमपूर्ण वार्तालाप हुआ है तो वे भी भावुक हो गए. उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सभी पक्ष अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं.’
हिन्दुओं का नरसंहार कर रहे बांग्लादेश को आप हत्यारा देश कहेंगे या आतंकी देश -जो चाहे कह लें, बात एक ही है.
भारत की चिंताओं से अवगत कराया
सुनिए हालिया बांग्लादेश यात्रा के दौरान भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने क्या कहा और किसको कहा. मिस्री ने अपनी यात्रा का समाहार करते हुए अंत में ढाका में संवाददाताओं से कहा – ‘मैंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम करने की भारत की इच्छा को रेखांकित किया है. साथ ही, हमें हाल के ‘कुछ’ ‘घटनाक्रमों’ और ‘मुद्दों’ पर चर्चा करने का अवसर भी मिला और मैंने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और ‘कल्याण’ से संबंधित चिंताओं सहित अपनी चिंताओं से अवगत कराया है.’
यहां पर ‘अल्पसंख्यक’ ‘कुछ’ ‘घटनाक्रमों’ ‘मुद्दों’ ‘कल्याण’ जैसे शब्दों पर गौर कीजिये. क्या कहना चाहते हैं भारत के सचिव और क्या कह रहे हैं -दोनों बातें आपको साफ़ समझ में आ जाएंगी.
दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के दौरान विदेश सलाहकार एवं अन्य उच्चस्तरीय अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय वार्ता के लिए भारत के विदेश सचिव मंगलवार को एक दिवसीय यात्रा पर भारतीय वायुसेना के जेट से बांग्लादेश पधारे.
हिंदुओं के खिलाफ हिंसा
बीते 5 अगस्त के बाद से शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद चार महीनों में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी भारतीय अधिकारी ने उच्चस्तरीय वार्ता के लिए बांग्लादेश जाने की योजना बनाई. ढाका की पुण्यभूमि पर उतरने के तुरंत बाद मिस्री ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष मोहम्मद जशीम उद्दीन से भेंट की.
भारत-बांग्लादेश संबंधों में हालिया तथाकथित तनाव शेख हसीना के तख्तापलट के बाद खुल कर सामने आ गया है. इसके बाद यहां हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार बर्बर हमलों की हिंसक घटनाएं होनी शुरू हो गई हैं जिनमे हत्या बलात्कार लूट और आगज़नी का खुल कर खेल खेला जा रहा है और भारत की सरकार अभी भी विचार कर रही है और गंभीर सोच की मुद्रा में है.