विपक्ष की ओर से राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार के समय बांग्लादेश की आजादी का जिक्र किया और कहा कि एक लाख लोगों को बंदी बनाना आसान काम नहीं. लेकिन आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने बता दिया कि हमारे करीब आए तो खैर नहीं.
खड़गे ने कहा कि आप समाजवाद की बात करते हो. आप पढ़ो इसको. जो लोग झंडे से, अशोक चक्र से, संविधान से नफरत करते हैं, ये लोग आज हमको पाठ पढ़ा रहे हैं. संविधान जब बना, उस वक्त संविधान को जलाने वाले लोग हैं. रामलीला मैदान में नेहरू, बाबासाहब और महात्मा गांधी का पुतला रखकर रामलीला मैदान में ये लोग जलाए जिस दिन संविधान लागू हुआ. शर्म आना चाहिए, इतिहास पढ़ो. संविधान बनने के बाद आप लोगों ने कैसी कैसी बातें संविधान के बारे में बोला है आप लोगों ने. इस पर ट्रेजरी बेंच से किसी ने यिल्ड करने के लिए कहा. खड़गे ने इससे इनकार किया और फिर सभापति ने कहा कि जो किताब आपने दिखाई है, उसे मैं पढ़ूंगा. बाद में दे दीजिएगा. खड़गे ने कहा कि अभी ले लीजिए, पढ़ के दे दीजिएगा. क्योंकि ये किताब आजकल मिलती नहीं.
नेहरू ने संविधान को चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बना दिया
नेहरू ने संविधान को चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बना दिया था. महात्मा गांधी ने यह स्टेटमेंट दिया था कि पंडित नेहरू ने मुझे अन्य बातों के अलावा संविधान सभा के गठन से उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन करने के लिए विवश किया है. गांधी, नेहरू, आंबेडकर, आप नहीं सुनना चाहते कि क्या सुनना चाहते हो आप. आप तथ्यों को तोड़ मरोड़कर भ्रमित करना चाहते हो आप.
आरएसएस के नेताओं ने संविधान का विरोध किया
आरएसएस के नेताओं ने संविधान का विरोध किया था क्योंकि ये मनुस्मृति पर आधारित नहीं था. ऑर्गेनाइजर ने इसे लेकर संपादकीय भी लिखा था. न तो इन्होंने संविधान को स्वीकार किया और ना ही तिरंगा झंडे को माना और इसी वजह से 26 जनवरी 2002 को कोर्ट के आदेश पर संघ मुख्यालय पर तिरंगा मजबूरी में फहराना पड़ा.
अमेरिका, यूके, फ्रांस डेमोक्रेसी की बहुत बातें करते थे लेकिन महिलाओं को वोटिंग राइट्स नहीं थे. एक ही देश ऐसा है जहां संविधान लागू होने के दिन से ही सबको एडल्ट फ्रेंचाइज मिला. क्या ये नेहरू, आंबेडकर या संविधान सभा की देन नहीं. संविधान सभा में इनके जो सदस्य थे, चिल्लाते रहते थे. संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने 51-52 चुनावों के दौरान अडल्ट फ्रैंचाइज के खिलाफ लिखा था.
खड़गे ने कहा कि 1946 में कैबिनेट मिशन प्लान में उन्हें वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था और इसीलिए वह अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने. सरदार पटेल ने 14 नवंबर 1949 को नेहरू के जन्मदिन पर बधाई पत्र में लिखा था कि कुछ स्वार्थी लोगों ने हमारे विषय में भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की है. हमने एक-दूसरे के मतभेदों का भी सम्मान किया है जैसा कि गहरा विश्वास होने पर ही होता है. आज ये झगड़ा लगाने की कोशिश में लगे रहते हैं. यहां संविधान की बात करो. जिनको टीका-टिप्पणी करते हो, उनके पत्र देखो. ये सब देखने के बाद कुछ कहें तो हम कहेंगे, सोचेंगे. टीका कर रहे हैं.
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संविधान के लिए बाबा साहब आंबेडकर ने श्रेय कांग्रेस को दिया
बाबा साहब ने संविधान सभा में कांग्रेस को श्रेय दिया देते हुए जो कहा, खड़गे ने उसे भी कोट किया. आप शुरुआत से ही उनका सम्मान नहीं कर रहे, यह खुद उन्होंने भी कहा है. जब संविधान, तिरंगा झंडा स्वीकृत हो गए, तब मुंबई के रेलवे स्टेशन पर हिंदू महासभा, संघ वालों ने जाकर भगवा झंडा दिखाया. तब बाबा साहब ने कहा कि क्या मैं इस झंडे को देखने के लिए यहां आया हूं. मेरा झंडा अलग है तिरंगा झंडा. आज ये बोलते हैं कि आंबेडकर नेहरू जी के खिलाफ थे. खुद बाबा साहब ने कहा कि ये जो सम्मान मिला और कांग्रेस की वजह से मिला. स्मूथली ये संविधान बना सका. आगे चलकर संविधान के लिए पूरा श्रेय कांग्रेस को दिया.