कर्नाटक सरकार ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में फैली अवैध संपत्तियों को कर के दायरे में लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री प्रियांक खरगे ने घोषणा की है कि राज्य सरकार जुलाई के मध्य तक ऐसे सभी अवैध लेआउट्स को स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के अधीन लाने के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर लेगी। यह पहल हाल ही में पारित किए गए “कर्नाटक ग्राम स्वराज और पंचायत राज (संशोधन) विधेयक, 2025” के तहत की जा रही है।
प्रियांक खरगे ने बताया कि इस कदम से अनुमानित 95 लाख संपत्तियों को टैक्स सिस्टम में शामिल किया जा सकेगा, जिससे राज्य के राजस्व में बड़ा इजाफा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे ग्रामीण इलाकों में पारदर्शिता बढ़ेगी और अवैध संपत्तियों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
ई-खाता के जरिए संपत्ति का डिजिटलीकरण
मंत्री ने बताया कि अब तक विभाग ने 50 लाख से अधिक ग्रामीण संपत्तियों को ई-खाता (e-khata) से जोड़ा है। यह प्रक्रिया ग्रामीण संपत्ति प्रबंधन को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। ई-खाता से संपत्ति से जुड़ी जानकारी को ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से दर्ज किया जा रहा है, जिससे भविष्य में किसी प्रकार के विवाद की संभावना कम हो जाएगी।
विकास कार्यों में वृद्धि, 1,273 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह
प्रियांक खरगे ने बताया कि ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग ने पिछले वर्ष 1,273 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व इकट्ठा किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि जब अवैध संपत्तियों को भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा, तब यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा।

नई योजनाएं: अरिवु केंद्र, क्रेच और डिजिटल सेवाएं
राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें अरिवु केंद्र (डिजिटल पुस्तकालय), बच्चों के लिए क्रेच और ई-खाता जैसी डिजिटल सेवाएं शामिल हैं। इन पहलों का उद्देश्य गांवों में शिक्षा, सुरक्षा और सूचना तक पहुंच को बेहतर बनाना है।
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सरकार का मानना है कि इन सभी उपायों से ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलेगी और ग्राम पंचायतों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय जहां एक ओर कर प्रणाली को अधिक व्यापक बनाएगा, वहीं दूसरी ओर अवैध संपत्तियों के खिलाफ एक सख्त संदेश भी देगा।