केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को जारी किए गए रेट्रो गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) डिमांड नोटिस पर अपना रुख बदलने का सोच रही है। ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सरकार की ओर से बड़ी राहत मिल सकती है और GST डिमांड नोटिस पर नरम रुख अपना सकती है।
और ये फैसला तब आया है जब कुछ दिन पहले इंटरैक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनॉमी (IFIE) द्वारा मुंबई में इस विषय पर एक कॉन्क्लेव किया गया था। जो “मोदी का दृष्टिकोण: भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर” विषय पर था। जिसमें देश की अर्थव्यवस्था में “ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री” किस तरह अपना योगदान दे सकती है, इस पर विस्तृत चर्चा की गई और कई विद्वानों ने इस पर अपने विचार रखे।
बता दें कि, सरकार ने जुलाई 2017 से मार्च 2023 के बीच ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए जीएसटी डिमांड नोटिस जारी किया था। अब इसमें कुछ राहत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। ये भी माना जा रहा है कि इस मामले में सरकार कानूनी सलाह ले सकती है।
बताते चलें कि जीएसटी डिमांड नोटिस के चलते ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। लेकिन सरकार अब कुछ ढील देने के विचार में है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन ने क्या कहा..
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन ने इस पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा- देश ही नहीं विदेशों में भी ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज है। भारत में गेमिंग, टेक्नोलॉजी के नाम पर एक रत्न है। ये सिर्फ कार्ड खेलना या फोटो देखना नहीं है बल्कि ये इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी का बेहतरीन उदाहरण है।

इस तरह के गेम में कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे कि ये ‘गेम ऑफ चांस’ ना बने, जिसमें लोग बड़ी आसानी से अपना पैसा खो देते हैं। इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए एक स्व-नियामक निकाय (Self Regulatory Body) और नियम का होना जरूरी है।
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क्या बोलीं सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा
इंटरैक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनॉमी के कॉन्क्लेव में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने कहा कि ये विषय ऐसा है जिसके बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इंडियन इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्रीज समेत हर क्षेत्र के लोगों को इसमें शामिल होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आगे की जनरेशन को गैंबलिंग की आदत ना लगे और उस जनरेशन को बचाते हुए स्किल पर ध्यान देना होगा और इस संस्था को बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी। न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए जो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बनेगी उसमें आईटी, लीगल एक्सपर्ट और लॉ फॉर्म हो जिससे कि रेगुलेट करने में आसानी होगी।
डॉ देबी प्रसाद दाश ने क्या कहा?
डॉ देबी प्रसाद दाश (यमन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेषज्ञों के पैनल के समन्वयक एवं सदस्य (वित्त), भारत सरकार में भारतीय सीमा शुल्क (डीआरआई) के प्रधान महानिदेशक, जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक, पूर्व अधिकारी सीबीआई और आरबीआई) ने अपनी बात रखी।

उन्होंने कहा कि उद्योग के अगले विकास चरण तक पहुंचने के लिए संघीय स्तर पर एक यूनीफॉर्म रेगुलेशन आवश्यक है।
आगे उन्होंने कहा- हाल ही में 11 जुलाई, 2023 को 50वीं जीएसटी परिषद की बैठक संपन्न हुई। जिसमें मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने सिफारिश की है कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाया जाना चाहिए। जिसका अर्थ है कि कर की गणना दांव पर लगाए गए पैसे की राशि पर की जाएगी, भले ही दांव जीतता हो या हारता हो।
मनी लॉन्ड्रिंग और गेमिंग की बढ़ती लत की घटनाओं के बाद रेगुलेशन की आवश्यकता हुई। भारत दुनिया के चार सबसे बड़े गेमिंग बाजारों में से एक है। गेमिंग उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया क्योंकि रेगुलेशन निश्चितता इसे वैधता प्रदान करेगी।
भारत सरकार के पूर्व सचिव ने कही बड़ी बात
भारत सरकार के पूर्व सचिव शंकर अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पूरी दुनिया में 200 बिलीयन यूएस डॉलर का है जिसमें केवल 1.50 बिलियन डॉलर का काम हिंदुस्तान में हो रहा है। सबसे अच्छी आईटी के ब्रेन इंडिया में है। अगर हम इसको अच्छे से उपयोग करे तो हम आसानी से डेढ़ सौ बिलियन डॉलर का जो इंडस्ट्री है।
