देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार, 9 अप्रैल, 2025 को पुर्तगाल और स्लोवाकिया की चार दिवसीय राजकीय यात्रा के दूसरे चरण के दौरान ऑस्ट्रिया के विएना पहुंचीं। इस यात्रा के दौरान सबकी नजर पड़ी राष्ट्रपति के खास शॉल पर जो इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय है।
दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जैसे ही जहाज से उतरीं तो उन्होंने एक मरून रंग का शॉल पहना हुआ था। ये शॉल इसलिए खास था क्योंकि ये सैपीखुप शॉल है। जो वैश्विक मंच पर कुकी-जो विरासत का गौरवशाली प्रतीक है।
यूरोप के साथ भारत के संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से की गई इस यात्रा ने मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदाय के लिए एक गहरा सांस्कृतिक महत्व स्थापित किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने चार दिवसीय विदेश दौरे के तहत विएना, ऑस्ट्रिया पहुंचीं। यह दौरा पुर्तगाल और स्लोवाकिया गणराज्य की राजकीय यात्राओं का हिस्सा था। विएना के बाद, उन्होंने स्लोवाकिया गणराज्य की राजधानी ब्रातिस्लावा के लिए प्रस्थान किया, जहां वे 9 से 10 अप्रैल 2025 तक स्लोवाकिया के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी के निमंत्रण पर राजकीय यात्रा करेंगी। यह 29 वर्षों में किसी भारतीय राष्ट्रपति की स्लोवाकिया की पहली यात्रा है।
इससे पहले, राष्ट्रपति मुर्मू ने पुर्तगाल की यात्रा की, जहां उन्होंने पुर्तगाली संसद में गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया और राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस यात्रा के दौरान, उन्हें लिस्बन के मेयर द्वारा ‘सिटी की ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया, और उन्होंने भारत-पुर्तगाल कूटनीतिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्मारक डाक टिकट जारी किए।
While the Meitei falsely brand the Kuki as ‘illegal immigrants’, the President of India herself honors our heritage by donning the traditional Kuki Saipikhup shawl on an official visit to Austria a powerful affirmation of our rightful place within the Indian Union.… pic.twitter.com/Bji3ajtvfd
— Aboriginal_Kuki (@AboriginalKuki) April 9, 2025
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पारंपरिक शॉल से है खास लगाव
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा पहना गया शॉल अक्सर उनकी आदिवासी संस्कृति और विरासत को दर्शाता है। वे कई बार ऐसे पारंपरिक शॉल पहनती हैं जो कि झारखंड, ओडिशा और पूर्वोत्तर भारत की जनजातीय कला और बुनाई से जुड़े होते हैं। उनके शॉल में अक्सर पारंपरिक डिज़ाइन, कढ़ाई, और हाथ से बुने हुए पैटर्न देखने को मिलते हैं।
वे जब भी किसी राज्य की यात्रा करती हैं, तो स्थानीय संस्कृति का सम्मान करते हुए वहां के स्थानीय शॉल या वस्त्र को अपनाती हैं। हाल ही में मणिपुर के दौरे पर उन्हें सैपीखुप शॉल (Saiphi-khup Shawl) भेंट किया गया था, जो मणिपुर के Kuki-Zo समुदाय की एक विशेष पारंपरिक शॉल है। इसे सम्मान और सौहार्द के प्रतीक के रूप में दिया जाता है। यही सैपीखुप शॉल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ऑस्ट्रिया के विएना में कैरी किया था।
शॉल का महत्व:
यह शॉल आदिवासी गौरव और आत्मसम्मान का प्रतीक होता है। यह किसी को विशेष अतिथि या सम्माननीय व्यक्ति के रूप में मान्यता देने के लिए पहनाया जाता है।