राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 अप्रैल, 2025 को पुर्तगाल और स्लोवाकिया की चार दिवसीय राजकीय यात्रा के दूसरे चरण के दौरान ऑस्ट्रिया के विएना में एक खास शॉल कैरी किया था। जिसकी चर्चा आजकल सोशल मीडिया पर खूब हो रही है।दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जैसे ही जहाज से उतरीं तो उन्होंने एक मरून रंग का शॉल पहना हुआ था। ये शॉल इसलिए खास था क्योंकि ये सैपीखुप शॉल है। जो वैश्विक मंच पर कुकी-जो विरासत का गौरवशाली प्रतीक है।
सैपीखुप शॉल की खासियत
सैपीखुप शॉल (Saiphi-khup Shawl) की खासियत इसे मिलने वाले सम्मान और इसकी सांस्कृतिक विरासत में छुपी होती है। यह शॉल खासकर मणिपुर के कुकी-जो (Kuki-Zo) समुदाय की पारंपरिक और प्रतिष्ठित पोशाकों में से एक है। आइए जानें इसकी प्रमुख विशेषताएं..
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सम्मान का प्रतीक:
यह शॉल बहुत विशिष्ट और प्रतिष्ठित लोगों को ही भेंट की जाती है, जैसे कि राष्ट्राध्यक्ष, उच्च पदाधिकारी या समुदाय के सम्माननीय व्यक्ति।
पारंपरिक महत्व:
सैपीखुप शॉल का नाम एक महान योद्धा और कुकी नेता ‘Saiphi Khup’ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने समुदाय के लिए साहस और नेतृत्व का परिचय दिया था।
हथकरघा से निर्मित:
यह शॉल हाथ से बुना हुआ होता है, और इसमें पारंपरिक डिज़ाइन, रंग संयोजन, और स्थानीय रूपांकनों (motifs) का सुंदर उपयोग होता है।
संस्कृति की पहचान:
यह शॉल सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान, विरासत और सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक माना जाता है।
विशेष अवसरों पर उपयोग:
आमतौर पर इसे त्योहारों, पारंपरिक समारोहों या विशिष्ट भेंट समारोहों में प्रस्तुत किया जाता है।
राष्ट्रपति मुर्मू को क्यों दिया गया?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को यह शॉल कुकी-जो समुदाय द्वारा सम्मान के प्रतीक के रूप में भेंट किया गया, जिससे यह दर्शाया गया कि वे उनकी संस्कृति, संघर्ष और आत्मगौरव को मान्यता देती हैं।