सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा है की जनता को यह जानने का हक है की सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है। मतदाता को भी यह जानने का हक है कि राजनीतिक पार्टियों को फंड कहां से आता है।
कंपनी अधिनियम की धारा 182(3) में संशोधन करने का एकमात्र उद्देश्य यह मानने के बाद निरर्थक हो जाता है कि चुनावी बांड योजना, आईटी अधिनियम गैर-प्रकटीकरण को स्वीकार्य बनाता है और आरपी संशोधन को असंवैधानिक मानता है।
सीजेआई ने जारी किए निर्देश:
1. चुनावी बांड योजना, आयकर अधिनियम की धारा 139 द्वारा संशोधित धारा 29(1)(सी) और वित्त अधिनियम 2015 द्वारा संशोधित धारा 13(बी) का प्रावधान अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है।
2. जारीकर्ता बैंक इसके साथ ही चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद कर देगा।
3. एसबीआई चुनावी बॉन्ड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों और प्राप्त सभी विवरणों का विवरण जारी करेगा और उन्हें 6 मार्च तक ईसीआई को सौंप देगा।
4. 13 मार्च तक चुनाव आयोग इसे आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
5. राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड की रकम खरीददारों के खाते में लौटानी होगी। संविधान सिर्फ इसलिए आंखें नहीं मूंद लेता कि इसके दुरुपयोग की आशंका है। हमने दोहरे आनुपातिकता मानक का उपयोग किया है।
https://twitter.com/LiveLawIndia/status/1757997830940332531?t=b8lIsDHC_lBRneW1QijuXQ&s=19