पिछले कुछ सालों में मखाना के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। लोग अपने आहार में मखाना को शामिल करने लगे हैं। देश-विदेश में इसकी इतनी डिमांड बढ़ी है कि इसके दाम में भारी उछाल आया है। दाम बढ़ने का एक और कारण है इसका उत्पादन। जितनी इसकी उत्पादन हो रही है उससे कहीं गुना अधिक इसकी डिमांड है।
मखाना का उत्पादन भारत के सीमित क्षेत्र में होता है। इसकी खेती मुख्य रूप से बिहार के दरभंगा और मधुबनी जिले में होती है। इस क्षेत्र के 30 हजार एकड़ में 60 हजार टन बीज का उत्पादन होता है, जिससे 24 हजार टन लावा बनता है। वहीं से सारे देश-विदेश में मखाना भेजा जाता है।
2022 में मखाना को मिला था जीआई टैग
20 अगस्त 2022 को मखाना को मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग मिला था। उसके बाद लोगों को इसके बारे में जानकारी मिली और इसके डिमांड में अचानक कई गुना वृद्धि हुई।
मखाना के दाम में वृद्धि का आलम यह है कि जहाँ यह दरभंगा और मधुबनी में उपजता है वहां भी 1000 रूपये किलो मिला रहा है। पिछले साल तक इसका प्रति किलो दाम 600 रुपया हुआ करता था। दिल्ली एवं अन्य बड़े शहरों में इसका दाम 1500 रूपये किलो है। इसका दाम गुणवत्ता के आधार पर ऊपर-नीचे होते रहता है।
अमेरिका में मखाना 8000 रूपये प्रति किलो
विदेशों से भी मखाना की मांग बहुत अधिक है। अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे देशों में इसकी मांग बढ़ी है। वहां इसे लोग सुपर फ़ूड के रूप में खाते हैं। अमेरिका में तो मखाना की कीमत 8000 रूपये प्रति किलो है।
मखाना खाने के फायदे
मखाना एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो मोटापा कम करने में मदद करता है। जिसके कारण भो लोग इसे अधिक पसंद करते हैं। मखाना में कार्ब्स, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉसफोरस, फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर की मजबूती और बेहतर फंक्शनिंग में मददगार होती है।
ब्लड शुगर करता है कंट्रोल
मखाना लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स का होता है जो ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करने में मददगार होता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होता है।
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दिल की सेहत के लिए भी अच्छा
मखाना में मैग्नीशियम और फाइबर पाया जाता है, जो क्रमशः ब्लड प्रेशर कंट्रोल और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मददगार होता है। जिसके कारण दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।