उत्तराखंड में धामी सरकार ने आज ऐतिहासिक फैसला लेते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform civil code- UCC) लागू कर दिया है। UCC लागू होने के बाद से उत्तराखंड में कई नियम बदल गए हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बन गया है। इसके तहत अब राज्य में सभी धर्मों की महिलाओं को एक समान अधिकार मिलेंगे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी को UCC पोर्टल भी लॉन्च किया। इस मौके उन्होंने कहा, ‘आज उत्तराखंड में UCC लागू करके हम संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज इसी क्षण से उत्तराखंड में UCC पूर्ण रूप से लागू हो गया है। आज से सभी धर्म की महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे। इस अवसर पर मैं समस्त उत्तराखंड वासियों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करता हूं क्योंकि उन्हीं के मार्गदर्शन में आज हम यह कानून राज्य में लागू करने में सफल हुए हैं।’
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हलाला (Nikah Halala)
हलाला का संबंध इस्लामी विवाह कानून से है। यह उस स्थिति में लागू होता है जब एक पुरुष ने अपनी पत्नी को तीन बार तलाक (तलाक-ए-मुक़ल्ला) दिया हो। तीन तलाक के बाद, पुरुष अपनी पूर्व पत्नी से तभी दोबारा शादी कर सकता है जब..
- महिला किसी दूसरे पुरुष से शादी करे।
- उस शादी में शारीरिक संबंध हों।
- दूसरा पति तलाक दे दे या उसकी मृत्यु हो जाए।
- इस प्रक्रिया को “निकाह हलाला” कहा जाता है।
क्या हैं उद्देश्य?
इस प्रावधान का मकसद तलाक को हल्के में लेने से रोकना है और यह सुनिश्चित करना है कि तलाक अंतिम निर्णय के रूप में लिया जाए। आधुनिक समय में, हलाला को लेकर विवाद हुआ है, क्योंकि कुछ लोग इसका दुरुपयोग करके इसे व्यवसाय बना लेते हैं। कई मुस्लिम समाज और विद्वानों ने इसे गलत बताया है और सुधार की मांग की है।
क्या है इद्दत (Iddat)?
इद्दत एक निर्धारित अवधि है, जो एक मुस्लिम महिला को तलाक या पति की मृत्यु के बाद पुनर्विवाह से पहले प्रतीक्षा करनी होती है।
तलाक के बाद इद्दत की अवधि..
- अगर महिला गर्भवती नहीं है, तो इद्दत की अवधि तीन मासिक धर्म चक्र (तीन माह) है।
- अगर महिला गर्भवती है, तो इद्दत की अवधि बच्चे के जन्म तक रहती है।
पति की मृत्यु के बाद इद्दत की अवधि..
- इद्दत की अवधि चार महीने और दस दिन होती है।
- अगर महिला गर्भवती है, तो इद्दत बच्चे के जन्म तक रहती है।
इसका उद्देश्य है.. यह सुनिश्चित करना कि महिला गर्भवती है या नहीं, ताकि वंश का कोई विवाद न हो। महिला को मानसिक और भावनात्मक रूप से इस अवधि में आराम और समर्थन मिल सके। धार्मिक दृष्टिकोण से, इसे महिला की शुद्धता और सम्मान बनाए रखने का तरीका माना गया है।