आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में समय का इतना अभाव रहता है कि इंसान को खाने पीने की भी सुध नहीं रहती है। सुबह उठते ही ऑफिस की तैयारी करना, टिफिन की चिंता और उससे भी बड़ी टेंशन की ऑफिस कौन से कपड़े पहनकर जाएं? अगर कोई शर्ट या सूट पसंद आ भी गया तो उससे भी बड़ी टेंशन आयरन यानि कपड़े प्रेस करने की होती है।
अब सोमवार को कपड़े आयरन करने की टेंशन से स्टॉफ को मिली छुट्टी। जी हां, सीएसआईआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक कैंपेन शुरू किया है। जिसका नाम है ‘रिंकल्स अच्छे हैं’(Wrinkles Ache Hai).#WrinklesAchheHain #CSIR @CSIR_IND pic.twitter.com/WVuHJovImO
— Panchayati Times (@panchayati_pt) May 9, 2024
लेकिन अब सोमवार को आयरन करने की टेंशन से छुट्टी मिल जाएगी। जी हां, सीएसआईआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक कैंपेन शुरू किया है। जिसका नाम है ‘रिंकल्स अच्छे हैं’(Wrinkles Ache Hai)।
सीएसआईआर ने क्लाईमेट चेंज से हो रहे बदलाव से निपटने के लिए इस कैंपेन की शुरूआत की है। इस कैंपेन के अनुसार, सीएसआईआर के हर स्टॉफ को हर सोमवार के दिन बिना प्रेस (Wrinkled Clothes) किए कपड़े पहलकर आने होंगे। यह कैंपेन 1 से 15 मई तक चलेगा जो स्वच्छता पखवाड़े का एक हिस्सा है।
With regard to certain news reports, CSIR wishes to clarify that No CIRCULAR or OFFICIAL ORDER has been issued by the CSIR HQ to its labs asking the staff to refrain from wearing ironed clothes.
To put the record straight, during the Earth Day Celebrations on 23 April 2024,…
— CSIR, India (@CSIR_IND) May 8, 2024
सीएसआईआर के इस अभियान का एनर्जी स्वराज फाउंडेशन ने तारीफ की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, हम @CSIR_IND के आगे आने और हमारे #जलवायु सुधार अभियान #रिंकल्सअच्छे हैं’ में हर सोमवार को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आभारी हैं। क्लाइमेट से निपटने के लिए सीएसआईआर की पहल का हम सम्मान करते हैं। ‘Wrinkles Ache Hai’ के जरिए स्टाफ ने हर सोमवार को बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनकर ऑफिस आने शुरुआत की है।
And it’s being a public movement, thank you everyone for you support✨
We have to go a long way!
Thank you @IndianExpress 🍃 pic.twitter.com/UDd6zpBA60— Energy Swaraj Foundation (@Energy_Swaraj) May 9, 2024
बता दें कि ये पहल एनर्जी सेव करने के लिए की गई है। वैज्ञानिकों की मानें तो एक जोड़ी कपड़ों पर आयरन करने से 200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है। ऐसे में इस अभियान से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड के विसर्जन को रोका जा सकता है।