नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश में बन रही नकली दवाओं को लेकर बेहद सख्त नजर आ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत नकली दवाओं के मामले में ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति का पालन करता है। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले 6 महीनों में देश की 134 दवा कंपनियों का निरीक्षण किया गया और सबसे बड़ी कारवाई हिमाचल प्रदेश में हुई है।
सूत्रों ने बताया कि विदेशों में भारतीय दवाइयों पर सवाल उठने के बाद से डीसीजीआई (DCGI) और स्टेट ड्रग रेगुलेटर ने प्रोडक्ट की गुणवत्ता परखने को लेकर इंस्पेक्शन अभियान तेज़ किया गया है। तीन अलग-अलग चरणों में अब तक 134 दवा कंपनियों का इंस्पेक्शन किया गया है।
इसमें मानक गुणवत्ता वाली दवा (Not of standard Quality Drug) का प्रोड्यूस नहीं करने का जिन कंपनियों का पिछले तीन साल का रिकॉर्ड था, राज्यों से उन कंपनियों के नाम का डेटा बनाये को कहा गया है। इनमें वो कंपनियां शामिल की गईं, जिन्होंने 2019- 22 के दौरान 11 से ज़्यादा बार एनएसक्यू में फेल रहीं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि खांसी रोकने के लिए भारत निर्मित सीरप के कारण कथित मौतों के बारे में कुछ हलकों में चिंता व्यक्त किए जाने के बाद 71 कंपनियों को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया गया है और उनमें से 18 को बंद करने को कहा गया है।