इंटरैक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनॉमी (IFIE) द्वारा मुंबई में “मोदी का दृष्टिकोण: भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर” विषय पर एक कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। जिसमें “ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री” किस तरह इसमें योगदान दे सकती है, इस पर विस्तृत चर्चा की गई। इसके साथ ही ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए स्व-नियामक निकाय (Self Regulatory Body) का निर्माण एवं उसकी रूपरेखा क्या हो, इस पर सभी वक्ताओं ने अपने सुझाव दिए।
भारत सरकार के पूर्व सचिव शंकर अग्रवाल ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पूरी दुनिया में 200 बिलीयन यूएस डॉलर का है जिसमें केवल 1.50 बिलियन डॉलर का काम हिंदुस्तान में हो रहा है। सबसे अच्छी आईटी के ब्रेन इंडिया में है। अगर हम इसको अच्छे से उपयोग करे तो हम आसानी से डेढ़ सौ बिलियन डॉलर का जो इंडस्ट्री है उसको 50 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचा सकते हैं। इसमें केवल एक ही समस्या है कि एक सेल्फ रेगुलेटरी रेजिम नहीं तो उसको अगर बना दिया जाए तो लोगों के मन में जो आशंकाएं होगी वह मिट जाएगी। अधिकांश समय यह ऑनलाइन गेमिंग जुआ के साथ जुड़ जाता है।
शंकर अग्रवाल ने यह भी बताया कि गेमिंग डिसाइड होती है कैसे। “गेम ऑफ चांस और गेम ऑफ स्किल” इसमें बड़ी पतली लाइन है गेम ऑफ चांस अगर होगी तो गैंबलिंग (जुआ) में आ जाएगी वही गेम आफ स्किल होगी तो गेमिंग में आ जाएगी। हमें गेम ऑफ चांस और गेम ऑफ स्किल में अंतर करना होगा। अगर हम कोई रेगुलेटरी बॉडी बनाते हैं जिससे इसमें आसानी से अंतर हो तो कई सारे लोग आसानी से इसमें कम कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रेगुलेटरी रेजिम आसान और लचीला होना चाहिए नहीं तो रेगुलेशन की जकड़ में यह सारी इंडस्ट्री बर्बाद हो जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का जो सपना है उसमें हम न केवल 5 ट्रिलियन इकोनामी तक पहुंच सकते बल्कि 10 ट्रिलियन का इकोनामी भी प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इनेबलमेंट तो हो सकता है लेकिन एंपावरमेंट भी करना जरूरी है। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायधीश के मार्गदर्शन में अगर हम सभी एक साथ काम करें तो जरुर सफल होंगे। हमारी सोच होनी चाहिए गेमिंग की ना कि गैंबलिंग की।
उन्होंने यह भी कहा कि जो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी बनी वह एनजीओ के द्वारा ही संचालित हो लेकिन वो रेगुलेटरी बॉडी केंद्र और राज्य सरकार के देखरेख में बने।