भारतीय मूल के हैं कश्यप पटेल – प्यार से उनको काश पटेल कह कर बुलाया जाता है. अगर वे नए सीआईए डायरेक्टर बनते हैं तो भारत का गौरव बढ़ने वाला है सारी दुनिया में.
उद्देश्य की बात करें तो नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत डायरेक्टर ऑफ सेंट्रल इंटेलिजेंस का पद गठित हुआ जो अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी और CIA दोनों को नेतृत्व दे सकें.
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ तो भारत में कई लोगों ने छाती पीटी..क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प पीएम मोदी के अच्छे मित्र माने जाते हैं. ट्रम्प के सत्ता में आने से मोदी की अंतर्राष्ट्रीय शक्ति बढ़ेगी और देश का दुनिया में कद ऊंचा होगा. ये जान कर भी मोदी के विरोधी ट्रम्प और उनकी विजय पर रुदाली रोदन कर रहे हैं.
पुराने अमेरिकन राष्ट्रपति की वापसी के साथ ही तमाम बदलाव होने की आशाएं जाग गई हैं. इसी दौरान ये बात भी सामने आई है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में भी डोनाल्ड ट्रंप फेरबदल करने की मंशा रखते हैं. इसी कारण अब सीआईए अपने नए बॉस का स्वागत करने को आतुर है.
दौड़ में सबसे आगे भारत के पटेल
दिलचस्प बात ये है कि इस अहम पद के लिए भारतीय मूल के कश्यप (काश) पटेल का नाम दौड़ में सबसे आगे दिखाई दे रहा है. काश पटेल का दावा इसलिए भी मजबूत है क्योंकि क्योंकि वो डोनाल्ड ट्रंप के काफी भरोसेमंद लोगों में से एक हैं.
आइये अब जानते हैं कि दुनिया की एक अहम ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए का गठन क्यों हुआ और कब हुआ था.
दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद हुई जरूरत महसूस
हर शक्तिशाली देश की तरह अमेरिका का भी विदेशी सूचनाएं एकत्र करने का इतिहास काफी पहले से रहा है. पर इसमें मोड़ आया दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद से और तब से ही अमेरिका की सरकार विदेशी खुफिया गतिविधियों का समन्वय और विश्लेषण करने लगी. इस काम को सही ढंग से अंजाम देने के लिए एक नए विषय केंद्रित ख़ुफ़िया विभाग की आवश्यकता अनुभव की गई.
पहले थीं तीन एजेन्सियां
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट, यूएस आर्म्ड सर्विसेज (UAS) और फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) अपने-अपने तरीके से खुफिया सूचनाएं जुटाने का काम करती थीं. इन एजेंसियों के बीच भी तालमेल भी बस एक इस मामले में ही होता था.
तब हुई स्थापना CIA की
आया साल 1947 और साबित हुआ अमेरिकी इंटेलिजेंस के इतिहास में एक मील का पत्थर. ज्यों ही द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ और सेंट्रल इंटेलीजेंस ग्रुप (CIG) की स्थापना हुई, तुरंत उस समय के राष्ट्रपति ट्रूमैन को एक इस तरह की ख़ुफ़िया इकाई की जरूरत महसूस हुई जो युद्ध के समय और उसके बाद भी देश में किसी भी आपात स्थिति के दौरान खुफिया सूचनाओं को इकट्ठा करने में सबसे भरोसेमंद और तेज हो.
था वो भारत की आजादी का साल
इसी साल याने 1947 में ही राष्ट्रपति ट्रूमैन ने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट पर दस्तखत कर दिए. इस एक्ट के अंतर्गत सितंबर माह की 18 तारीख को सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी की ऐतिहासिक स्थापना हो गई. विशेष बात जो सीआईए के साथ थी वो ये कि इसको एक स्वतंत्र नागरिक खुफिया एजेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त हुई. सीआईए को राष्ट्रीय इंटेलिजेंस एक्टिविटी के कोआर्डीनेशन के साथ ही दूसरी वो सभी जिम्मेदारियां भी दी गईं, जो देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक थीं.