कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा यानी आज का दिन बेहद शुभ है और पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है।
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव, विष्णु, और अन्य देवी-देवताओं की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन को गंगा स्नान, दान, और दीपदान का पर्व भी कहा जाता है, विशेषकर उत्तर भारत में गंगा नदी के घाटों पर लोग पवित्र स्नान कर दान-पुण्य करते हैं।
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प्रमुख पर्व और मान्यताएं
देव दीपावली: आज वाराणसी में गंगा के घाटों पर लाखों दीप जलाकर देवताओं की दीपावली मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर दीपों का स्वागत करते हैं।
त्रिपुरी पूर्णिमा: मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, जिससे देवता प्रसन्न होकर इस दिन का उत्सव मनाते हैं।
गुरु नानक जयंती: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाता है। सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर, और सेवा कार्यों का आयोजन करते हैं।
इस दिन को धर्म, दान, और पुण्य की दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है, और लोग अपने घरों व मंदिरों में दीप जलाते हैं, व्रत रखते हैं, और पूजा-अर्चना करते हैं।
पूजा विधि:
प्रातःकाल स्नान और संकल्प: सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। अगर यह संभव न हो तो घर में स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
दीपदान: इस दिन दीप जलाकर उसे नदी, तालाब, या घर में तुलसी के पौधे के पास रखें। इसे दीपदान कहा जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन का मुख्य अनुष्ठान है।
भगवान विष्णु और शिव की पूजा: भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करें। विष्णु जी के लिए तुलसी के पत्ते चढ़ाएं और भगवान शिव की पूजा में जल, बेलपत्र, और धूप का उपयोग करें। इस दिन तुलसी विवाह भी करने का विशेष महत्व है, जो घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
पवित्र कथा का श्रवण: कार्तिक पूर्णिमा पर विष्णु पुराण, शिव पुराण, या सत्यानारायण कथा का श्रवण करना शुभ माना जाता है।
दान-पुण्य का महत्व: इस दिन अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने का विशेष महत्व है। ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें।
रात्रि जागरण और भजन कीर्तन: कई स्थानों पर भक्त रात्रि में जागरण करते हैं और भजन कीर्तन का आयोजन करते हैं, जो उनके आध्यात्मिक लाभ को बढ़ाता है।