मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने भारत को प्रत्यर्पित किए जाने पर रोक लगाने की याचिका फिर से दायर की है। राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं और वर्तमान में लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद हैं, ने इस संबंध में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय से राहत की गुहार लगाई है।
राणा के वकीलों ने 6 मार्च को एक नई अर्जी दायर की, जिसमें उन्होंने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की है। इससे पहले, 27 फरवरी को उन्होंने अमेरिकी न्यायपालिका से एक आपात अर्जी पेश की थी, जिसमें भारत को प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अस्थायी रोक की मांग की गई थी। इस याचिका को न्यायमूर्ति एलेना कागन ने खारिज कर दिया था।
नई अर्जी में राणा ने बताया कि, “हमारे पास ऐसे पर्याप्त कारण हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो उसकी सुरक्षा और मानवाधिकारों को गंभीर खतरा हो सकता है।” राणा के वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि अगर उसे भारत भेजा गया, तो उसे भारत में यातना दिए जाने का खतरा हो सकता है, खासकर मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के आरोपों के कारण। उन्होंने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और अमेरिकी कानून का हवाला दिया, जो यातना और क्रूर सजा पर प्रतिबंध लगाते हैं।
राणा ने उठाया चिकित्सा स्थिति का मुद्दा
राणा ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि उसकी गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण भारत के हिरासत केंद्रों में उसकी जान को खतरा हो सकता है। उनका कहना था कि इस स्थिति में, उसे भारत भेजना, ‘वास्तव में’ मौत की सजा के बराबर हो सकता है। राणा ने यह तर्क दिया कि उनकी चिकित्सा जरूरतें पूरी करने की संभावना भारतीय हिरासत में नहीं होगी, जिससे उसकी हालत और खराब हो सकती है।
भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में न्यायिक अड़चन
इससे पहले, जनवरी में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने राणा की याचिका खारिज कर दी थी और उसके भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दी थी। हालांकि, राणा ने अब एक नई अर्जी पेश की है, जिसे मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष पेश किया गया है। इस अर्जी में उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि जब तक उनकी याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक भारत को प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
मुंबई आतंकवादी हमले में राणा का भूमिका
राणा पर आरोप है कि उसने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में सहायक भूमिका निभाई थी, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। अमेरिकी न्यायालय ने पहले ही राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी, लेकिन राणा ने अब तक इसे चुनौती दी है, यह दावा करते हुए कि उसे भारत में यातना का शिकार किया जा सकता है।
इस मामले में अब तक कई कानूनी लड़ाईयाँ चल रही हैं, और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली में राणा की याचिकाओं का परीक्षण जारी है। अब देखना यह है कि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय इस नये आवेदन पर क्या निर्णय लेता है।
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यह मामला दो देशों के बीच कानूनी संघर्ष का प्रतीक बन चुका है, जिसमें मानवाधिकार, सुरक्षा और न्याय से जुड़े जटिल सवाल उठ रहे हैं। राणा के मामले में न्यायिक प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियाँ और उसकी कानूनी स्थिति भविष्य में भारतीय और अमेरिकी न्यायिक प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।