कर्नाटक राज्य की सिद्धारमैया सरकार ने गुरुवार, 27 मार्च 2025 को कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) द्वारा सप्लाई किए जाने वाले नंदिनी दूध की कीमत में 4 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि का ऐलान किया। यह कदम KMF और विभिन्न किसान संगठनों की मांगों पर विचार करने के बाद लिया गया है। सरकार का यह फैसला उगादी त्यौहार से ठीक पहले आया है, जिसे 30 मार्च को राज्यभर में धूमधाम से मनाया जाएगा।
दूध की कीमत बढ़ने से अन्य उत्पादों की कीमतों में भी होगी वृद्धि
दूध की कीमत में इस वृद्धि का असर न केवल दूध पर पड़ेगा, बल्कि इससे जुड़े अन्य उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। जैसे ही दूध की कीमत बढ़ेगी, होटल और मिठाई दुकानों पर चाय, कॉफी, और दूध से बने अन्य प्रोडक्ट्स की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। कर्नाटक में हाल ही में मेट्रो और आरटीसी बसों का किराया बढ़ाया गया था, जिसके कारण राज्य सरकार की आलोचना की गई थी। इसके अलावा, बिजली की दरें भी बढ़ाई जा चुकी हैं।

क्यों बढ़ाई गई दूध की कीमत?
कर्नाटक सरकार ने 5 मार्च को राज्य में नंदिनी दूध की कीमत बढ़ाने का संकेत दिया था। विधान परिषद में पशुपालन मंत्री के. वेंकटेश ने बताया था कि सरकार दूध की कीमतों में वृद्धि जरूर करेगी, लेकिन इस बढ़ोतरी का फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से चर्चा के बाद लिया जाएगा। मंत्री ने यह भी बताया था कि सरकार पर दूध उत्पादकों का 656.07 करोड़ रुपये का सब्सिडी बकाया है, जिसे जल्द ही चुकता किया जाएगा। इस सब्सिडी राशि के भुगतान के बाद, किसानों की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।
कर्नाटक राज्य में किसान दूध की कीमत में 10 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने इसे 4 रुपये बढ़ाने का निर्णय लिया है।
राज्यभर में जारी है विरोध प्रदर्शन
दूध की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ राज्यभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। कर्नाटक राज्य रैयत संघ और ग्रीन ब्रिगेड जैसी किसान संगठनों ने दूध की खरीद मूल्य को बढ़ाकर कम से कम 50 रुपये प्रति लीटर करने की मांग की है। इसके साथ ही, MSP (Minimum Support Price) लागू होने तक 10 रुपये प्रति लीटर का अंतरिम समर्थन मूल्य देने की भी मांग की जा रही है। इन संगठनों ने सरकार से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की अपील की है।
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कर्नाटक सरकार द्वारा नंदिनी दूध की कीमत बढ़ाने का निर्णय राज्यभर के दूध उत्पादकों के लिए राहत का कारण हो सकता है, लेकिन इससे आम जनता पर असर पड़ेगा। होटलों और मिठाई दुकानों में दूध से बने उत्पादों की कीमतें बढ़ने से लोगों को वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, सरकार ने दूध उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है, जिससे आने वाले समय में दूध उत्पादकों की स्थिति में सुधार हो सकता है।