जम्मू-कश्मीर की हसीन वादियों में हनीमून मनाने गए नवविवाहित जोड़े का सपना उस वक्त बिखर गया, जब पहलगाम के बैसरन में हुए आतंकी हमले ने कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया। इस हमले में भारतीय नौसेना के युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मौत हो गई। विनय हाल ही में शादी के बंधन में बंधे थे और अपने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए बेहद उत्साहित थे।
हरियाणा के करनाल जिले से ताल्लुक रखने वाले विनय नरवाल कुछ दिन पहले ही शादी के बाद पत्नी के साथ हनीमून पर निकले थे। शादी और रिसेप्शन के बाद दोनों ने कश्मीर जाने का फैसला किया था। पर किसे पता था कि ये यात्रा उनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव बन जाएगी।
मंगलवार को हुए हमले में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। बताया जा रहा है कि आतंकी पुलिस की वर्दी पहनकर आए थे, जिससे किसी को उन पर शक नहीं हुआ। लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने चुन-चुनकर हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
लेफ्टिनेंट विनय की मौत की खबर जैसे ही उनके गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके पिता, जो अभी तक बेटे की नई जिंदगी की खुशियों में डूबे थे, अब पहलगाम से उसके शव को लेने जा रहे हैं। गांववालों की आंखें नम हैं और गुस्से में भी हैं। लोग एक स्वर में कह रहे हैं – “अब और बर्दाश्त नहीं होगा, आतंक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।”
भारतीय नौसेना ने भी विनय नरवाल की मौत पर गहरा दुख जताया है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने सोशल मीडिया पर कहा, “लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हम सभी के लिए अपूरणीय क्षति है। हम उनके परिवार के साथ इस कठिन समय में पूरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।”
इस हमले की एक तस्वीर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया — जहां विनय की नवविवाहिता पत्नी उनके शव के पास पत्थराई आंखों से बैठी है, मानो खुद से पूछ रही हो कि आखिर उसका कसूर क्या था? यह दृश्य आतंक की अमानवीयता और निर्दोषों की तकलीफ को चीख-चीखकर बयां करता है।
फिलहाल सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है और हमलावरों की तलाश की जा रही है। लेकिन यह सवाल हर किसी के मन में है — क्या इन हमलों को रोका जा सकता था? क्या अब वक़्त नहीं आ गया है कि आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए जाएं?
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इस घटना ने सिर्फ एक परिवार की खुशियों को खत्म नहीं किया, बल्कि पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कब तक निर्दोष लोग इस तरह के कायराना हमलों का शिकार बनते रहेंगे।