जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने जहां पूरे देश को झकझोर दिया है, वहीं अब इस पर दिए गए रॉबर्ट वाड्रा के बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने एक इंटरव्यू में देश के मौजूदा माहौल को इस हमले की पृष्ठभूमि बताया है, जिसके बाद सियासी हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
वाड्रा ने जताया शोक, लेकिन दिया विवादित बयान
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में रॉबर्ट वाड्रा ने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “मैं 28 लोगों की मौत से बेहद दुखी हूं और पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।”
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने एक ऐसा बयान दिया जिसने सियासत को गरमा दिया। वाड्रा ने कहा कि, “मुझे लगता है कि देश का माहौल ही इस हमले की वजह बना है। अल्पसंख्यकों को दबाया जा रहा है, मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने से रोका जा रहा है, और धार्मिक स्थलों पर मूर्ति ढूंढने जैसे सर्वे किए जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि जब आप बाबर या औरंगज़ेब जैसे शासकों की बातें राजनीतिक बहसों में घसीटते हैं, तो इससे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा का भाव पैदा होता है। “धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए। वरना ऐसे आतंकी हमले फिर होते रहेंगे,” वाड्रा ने कहा।
“आईडी देखकर मारे गए लोग, यह सोच से उपजा हमला”
रॉबर्ट वाड्रा ने यह भी दावा किया कि हमले में आतंकियों ने पहले पीड़ितों की पहचान जांची, फिर गोली चलाई।
“यह बताता है कि वे सोचते हैं कि हिंदू मुसलमानों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, और यह सोच उस असुरक्षा से उपजती है जो देश के माहौल से पैदा हो रही है। प्रधानमंत्री को सामने आकर देश के हर नागरिक को सुरक्षित और धर्मनिरपेक्ष महसूस कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”
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जहां एक ओर पहलगाम हमला पूरे देश के लिए गंभीर सुरक्षा चिंता और राष्ट्रीय एकता की चुनौती बनकर सामने आया है, वहीं रॉबर्ट वाड्रा का यह बयान सियासी तूफान का केंद्र बन गया है।