मंगलवार, 22 अप्रैल का दिन और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में सैलानियों की चहल-पहल ने रौनक जमाई हुई थी।
तभी ताबड़तोड़ गोलियों की आवाज से सारी खुशियां चंद मिनटों में मातम में बदल गईं। हाथ में एके-47 लिए आतंकियों ने पर्यटकों के पास जाकर पहले नाम पूछा फिर धर्म…बस फिर गोलियां बरसा दीं।
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पहलगाम हमले में उन 26 लोगों की जान चली गई, जो लोग जम्मू-कश्मीर की वादियों में घूमने गए थे। लेकिन हमले के बाद से पहलगाम की वादियां अब सुनसान हो गई हैं।
सड़कों पर सन्नाटा छा गया है। सैलानियों से गुलजार रहने वाले मार्केट की दुकानों पर ताले लटके हैं। बैसरन घाटी मानों उजड़ सी गई है..घाटी में 35 साल में पहली बार आतंकवादी हमले के खिलाफ बंद का एलान किया गया।
हंसते खेलते पर्यटकों के बीच आतंकी घुसे और ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। चंद मिनटों में ही पूरी घाटी मदद और चीखों से गूंजने लगी।
किसी की गर्दन से खून निकल रहा था तो किसी हाथ सने हुए थे। हाथोंमें लाल चूड़ा पहनी युवती अपने पति की जाम की भीख मांग रही थी तो दूसरी ओर एक युवती ने बताया कि उसके पिता से आतंकी ने पूछा कलमा पढ़ना आता है..ना कहने पर गोली मार दी।