कांग्रेस आलाकमान ने बड़ा फैसला लेते हुए जीतू पटवारी को कमलनाथ की जगह मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया है। इसके साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को बनाया गया है। इसी के साथ मध्यप्रदेश में कमलनाथ युग समाप्त हो गया।
युवा नेता जीतू पटवारी ओबीसी समाज से आते हैं। वे राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक हैं। उन्हें कांग्रेस का उदयीमान नेता कहा जाता है। उनका जन्म एक राजनीतिक परिवार में इंदौर के एक कस्बे में नवंबर 1973 को हुआ था। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की है। वे यूथ कांग्रेस से भी जुड़े रहें।
इंदौर के राऊ विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। जीतू पटवारी पहली बार 2013 में विधायक बने थें। उस समय उनकी उम्र केवल 40 साल थी। उसके बाद वो 2018 में दूसरी बार विधायक चुने गए और दो साल तक चली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री रहें।
2018 में उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। इसके साथ ही वह मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी रहे। 2023 के विधानसभा चुनाव में जीतू पटवारी को पार्टी के प्रचार विभाग का अध्यक्ष बनाया गया था। इस विधानसभा चुनाव में जीतू पटवारी को हार का सामना करना पड़ा है।
करीब 6 साल पहले राहुल गांधी के नजर में आएं
करीब छह साल पहले मध्य प्रदेश के मंदसौर का किसान आंदोलन, जीतू पटवारी के लिए राजनीति में उभरने का बड़ा अवसर बना। 2017 में किसानों पर पुलिस का गोली चलाना और जीतू पटवारी का आवाज बुलंद करना मीडिया में सुर्खियां बनी और पूरे देश में इसकी धमक सुनाई दी।
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इसी किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से किसानों की मौत हो गई। राहुल गांधी पीड़ित परिवार के लोगों से मिलने पहुंचे। लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी और रोक दिया। जीतू पटवारी ने पुलिस को चकमा देते हुए बाइक पर बिठाकर राहुल गांधी को यात्रा कराई और किसानों के परिवार से मुलाकात कराई।
मध्य प्रदेश पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहे जीतू पटवारी और राहुल गांधी की बाइक वाली तस्वीर की चर्चा आज भी होती है। जीतू पटवारी कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह में से किसी के गुट के नहीं हैं।