लोकसभा चुनाव 2024 के कुछ ही सप्ताह पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा दिया है। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया है। आपको बताते चलें कि दूसरे चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय पिछले महीने में ही सेवानिवृत्त हुए थे। जिसके कारण पहले से ही एक सीट खाली थी। अब चुनाव का पूरा जिम्मा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कंधो पर आ गया है।
भारतीय चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो और चुनाव आयुक्त होते हैं। पिछले दिनों लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ कई राज्यों के दौरे पर गए थें। एकाएक उनके इस्तीफे की खबर आ गई। अरुण गोयल की इस्तीफे की खबर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने एक गैजेट अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जो 09 मार्च, 2024 से प्रभावी माना जाएगा।
भारतीय संविधान ने चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि को लेकर अधिनियम, 2023 की धारा 11 के खंड (1) के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त, किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा देकर पद का त्याग कर सकता है। इससे पहले अरुण गोयल भारी मंत्रालय में सचिव के पद पर थें।
अरुण गोयल की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी
1985 बैच के आईएएस अफसर अरुण गोयल 18 नवंबर, 2022 को अपनी स्वैच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली थी और अगले ही दिन उनको चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त कर दिया गया था। उनकी नियुक्ति विवादों से भरा रहा था। उनके नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई करते हुए सरकार से कहा था कि आखिरकार किस बात की इतनी जल्दबाजी थी, जो वीआरएस लेने के अगले ही दिन अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति दे दी गई थी। 18 नवंबर को फाइल कानून मंत्रालय ने विचार के लिए रखी और उसी दिन आगे बढ़ा दी गई। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सरकार से कोई टकराव नहीं चाहते, लेकिन यह सब बहुत जल्दबाजी में किया गया। अरुण गोयल से पहले अशोक लवासा ने अगस्त 2020 में चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दिया था।